पीसीओडी क्या है :
पीसीओडी (polycystic ovarian syndrome) "इस भागदौड़ भरी जिन्दगी मे महिलाएं न तो वक्त पे खाती है और ना सोती है न ही खुद की सेहत का ख्याल रख पाती है। आज के जमाने मे महिलाओं की स्थिति अधिक विचारणीय है क्यू कि उनको घर बाहर दोनो तरफ संतुलन बना कर चलना पड़ता है, ऐसे मे महिलाओं मे तनाव का स्तर अधिक रहता है और अंततः वह समझौता करती हैं अपनी सेहत से कई बार शरीर को अनदेखा करने से विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं जिनमें से एक पीसीओडी/पीसीओएस बीमारी है।
"कुछ सालों पहले तपीसीओडीक यह समस्या 30 से 35 साल की महिलाओं में अधिक पाई जाती थी अब स्कूल जा रही बच्चों में भी यह समस्या बहुत आम हो गई हैं आपको बता दें कि जिन लड़कियों में पीरियड की समस्या देखने को मिलती है उन्हीं लड़कियों को पीसीओडी की समस्या का सामना करना पड़ता है।
क्या हैं पीसीओडी/पीसीओएस :
पीसीओएस (PCOD) इसमें महिलाओं के गर्भाशय में मेल हार्मोन एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है परिणाम स्वरूप ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं यह आश्चर्य की बात है कि इस बीमारी के होने का आज तक कोई का पता नहीं चला और यह अभी भी शोध का विषय है, यह समस्या महिलाओं में हार्मोन असंतुलन मोटापा या तनाव के कारण उत्पन्न होती हैं वहीं कुछ महिलाओं में वंशानुगत कारणों से भी यह समस्या होती है।
-करीबन 70% महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि वे पीसीओडी से पीड़ित हैं।
-पीसीओडी होने का मतलब यह नहीं कि आपने मैं नहीं हो सकती।
-जीवन शैली में परिवर्तन लाकर पीसीओडी का इलाज किया जा सकता है।
पीसीओडी होने के कारण :
पीसीओडी होने के सही कारणों का पता लगाना असंभव है लेकिन कुछ हार्मोनल असंतुलन असंतुलन के कारण पीसीओडी की समस्या देखने को मिलती है।
1-इंसुलिन की बढ़ी हुई मात्रा
2-निम्न श्रेणी में सूजन
3-जीन
पीसीओडी लक्षण :
पीसीओडी के निम्न लक्षण होते हैं जैसे कि...
अनियमित पीरियड्स!
एंड्रोजन मेल हार्मोन का बढ़ना!
चेहरे पर मुंहासे!
चेहरे पर अत्यधिक बाल होना!
अंडाशय का बढ़ जाना!
पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग! बालों का पतला होना !
सिर दर्द!
पीसीओडी की जटिलताएं क्या हैं :
-पीसीओडी से जुड़ी कुछ सामान्य जटिलताएं शामिल है
1-गर्भधारण करने में अक्षमता
2-मधुमेह या डायबिटीज
3-समय से पहले जन्म
4-लीवर में सूजन
5-उपापचय लक्षण
6-डिप्रेशन और चिंता सहित मूड विकार
7-गर्भाशय से असामान्य रखता
PCOD उपचार :
प्राकृतिक जगह पर सैर करने जाएं जिससे केवल आपका तनाव भी दूर नहीं होगा बल्कि वजन भी कम होगा जिससे मासिक धर्म सही समय पर आ सकता है नियमित व्यायाम करें जैसे कि पैदल घूमना योग जुंबा डांस अरेबिक साइकिलिंग इन स्विमिंग किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम रोज करें। साथ-साथ मेडिटेशन भी कर सकते हैं जिससे तनाव मुक्त रहेंगे।
अच्छा खान अच्छा खानपान रखें जैसे जंक फूड अधिक मीठा फैट युक्त भोजन अधिक तैलीय पदार्थ का सेवन बंद करें अच्छा पौष्टिक आहार लेना जरूरी है अपनी डाइट में फल हरी सब्जियां विटामिन बी आहार खाने में ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल करें जैसे अलसी मछली अखरोट आदि का सेवन ज्यादा करे।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें...
डॉ0 शालिनी राय
(स्त्री एंड प्रसूति रोग विशेषज्ञ)
हॉस्पिटल रोड, बलिया।
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