दृढ़ निश्चय बस यही है मेरा,
प्रतिज्ञा लेती हूँ आज।
सत्य मार्ग पर चलकर,
मरते दम तक दूँ मैं साथ।
माना सत्य मार्ग पर चलना
इतना नही आसान।
जब मन में मैंने ठान लिया है,
हमेशा करूंगी सम्मान।
अन्याय नही होने दूँगी,
इसका भी है भान।
बहन बेटियों के दामन में,
लगने नही दूँगी दाग।
मात पिता की सेवा से
निःस्वार्थ रहेगा भाव।
अपने ही कुटुंब से मिला,
ये मुझे वरदान।
भीष्म पिता ना बनने पाऊँगी
और न मैं सीता राम।
बस यही प्रयास करूंगी,
हमेशा सत्य का दूँ मैं साथ।
स्वरचित✍️मौलिक
मानसी मित्तल
शिकारपुर, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश
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