दिमाग ही नहीं शुगर और बालों के लिए भी वरदान-- शंखपुष्पी

 


आयुर्वेद में अनेक चमत्‍कारिक जड़ी-बूटियों का उल्‍लेख किया गया है जिनमें से शंखपुष्‍पी भी एक है।शंखपुष्पी का वैज्ञानिक नाम कोनोवुल्लूस प्लूरिकालिस (Convolvulus Pluricaulis) है। इसके चिकित्सीय लाभों के कारण शंखपुष्पी आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। दिमाग के लिए तो ये जड़ी-बूटी बहुत फायदेमंद होती है।

आयुर्वेदिक दवाओं में व्‍यापक रूप से शंखपुष्‍पी का उपयोग किया जाता है। इस जड़ी-बूटी को दिमाग तेज करने का टॉनिक भी कहा जाता है। ये मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अमृत का काम करती है। 

शंखपुष्‍पी को अपराजिता, वैष्‍णव, विष्‍णुकांता और विष्‍णुगंधी जैसे कई नामों से जाना जाता है।

इस जड़ी-बूटी का स्‍वाद कड़वा होता है और ये स्निग्‍ध (तैलीय) और पिछिल (पतला) गुण रखती है। शंखपुष्‍पी की तासीर ठंडी होती है एवं इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ को संतुलित किया जा सकता है। वात और पित्त दोष पर ये ज्‍यादा काम करती है।शंखपुष्पी के पुष्प, पत्ते, स्टेम, रूट्स सभी औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोगी होते हैं। शंखपुष्पी के पौधे की ऊंचाई लगभग 1 फुट होती है और इसकी पत्तियां 1-4 cm तक लंबी होती है। शंखपुष्पी तीन रंग के पौधे में आता है - लाल, नीला और सफेद। सफेद फूलों वाली शंखपुष्पी का पौधा सबसे अच्छा माना जाता है। शंखपुष्पी के पौधे के फल छोटे, गोल, चिकने, चमकदार और भूरे रंग के होते है। शंख के आकार के फूल होने की वजह से इसे शंखपुष्पी कहा जाता है।

 शंखपुष्‍पी से लाभ :-

1. मस्तिष्‍क के लिए टॉनिक : इस जड़ी-बूटी को दिमाग और याद्दाश्‍त तेज करने वाला टॉनिक भी कहा जा सकता है। ये बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। ये जड़ी-बूटी बढ़ती उम्र में याद्दाश्‍त कमजोर होने से भी रोकती है और इसे चिंता एवं डिप्रेशन को कम करने में भी असरकारी पाया गया है। इससे अल्‍जाइमर, तनाव, चिंता, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी कई समस्‍याओं का इलाज किया जा सकता है।

2. हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी का इलाज : शंखपुष्‍पी से ठीक होने वाली बीमारियों में हाइपरटेंशन का नाम भी शामिल है। ये जड़ी-बूटी ब्‍लड प्रेशर बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे कि एड्रेनलाइन और कोर्टिसोल को नियंत्रित कर स्‍ट्रेस हार्मोन के उत्‍पादन को कंट्रोल करने में असरकारी पाई गई है।

3. हाइपरथायराइड : अध्‍ययनों की मानें तो शंखपुष्‍पी में थायराइड-रोधी गुण होते हैं। इस बूटी की जड़ को हाइपरथायराइड पर प्रभावशाली पाया गया है। इसके पौधे का रस स्‍ट्रेस की स्थितियों में थायराइड हार्मोन के उत्‍पादन को कम कर के थायराइड ग्रंथि को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। ये जड़ी-बूटी लिवर द्वारा उत्‍पादित कुछ एंजाइम्‍स पर तेज असर करती है जिससे हायपरथायराइड के लक्षणों में सुधार आने में मदद मिलती है।

4. पाचन में सुधार : शंखपुष्‍पी शरीर में पाचन प्रक्रिया को दुरुस्‍त करने में भी मदद करती है। इसके पौधे के हर हिस्‍से से निकला रस शरीर में फ्लूइड को जमने से रोकता है और पाचन में मदद करता है। ये पेट से जुड़ी परेशानियों खासतौर पर पेचिस के इलाज में इस्‍तेमाल की जाती है।

5. कार्डियक अरेस्‍ट से बचाव : शंखपुष्‍पी में मौजूद एथेनोलिक एसिड कार्डियक अरेस्‍ट आने के प्रमुख कारणों में से एक नॉन-एस्टेरिफाइड फैटी एसिड (एनईएफए) के स्‍तर को कम करता है। इस पौधे में केंफेरोल नामक फ्लेवेनॉएड पाया जाता है जो कि एनईएफए के असर को कम कर देता है। इस प्रकार शंखपुष्‍पी दिल को भी स्‍वस्‍थ रखती है।

6. पेट में अल्‍सर : ग्‍लाइकोप्रोटीन के स्राव के कारण होने वाले कई तरह के अल्‍सर पर असरकारी है। इसका रस पेप्टिक अल्‍सर का इलाज भी करता है।

7. अनिद्रा से राहत : शंखपुष्‍पी स्‍ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के सतर को कम करने में मदद करती है और बेहतर नींद लाती है। एक गिलास दूध में सोने से पहले जीरा और शंखपुष्‍पी का एक चम्‍मच पाउडर मिलाकर पीने से नींद अच्‍छी आती है और नींद से जुड़े विकार जैसे कि अनिद्रा का इलाज होता है।

शंखपुष्‍पी का सेवन सिरप और पाउडर के रूप में किया जा सकता है। अगर आपके बच्‍चे की याददाश्त कमजोर है या वो पढ़ाई में कमजोर है तो आप उसे शंखपुष्‍पी का सिरप जरूर पिलाएं।

इस लेख में दी गई जानकारियाँ सामान्य मान्यताओं पर आधारित है,आप उपयोग करने से पहले अपने डाक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरुर ले लें।


कुमुद मिश्रा

असी.प्रोफेसर (संस्कृत विभाग) एस.एस.महिला महाविद्यालय, वाराणसी। 

सामाजिक कार्यकर्ता एवम उत्तरप्रदेश अध्यक्षा-श्री ब्रजेश्वरी सेवा संस्थान, वृंदावन। 



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