ऑक्सीजन की कमी से हो रही है कोरोना मरीजों की मौत, पीपल सहित यह 10 पेड़ देते हैं सबसे ज्यादा ऑक्सीजन

 


इंसानों ने प्रकृति से मिली जिस चीज़ का दुरुपयोग किया, उसके लिए हमें तरसना पड़़ गया. चाहे वो पानी के स्रोत नदियां और तालाब हों या फिर इस वक्त ऑक्सीजन के स्रोत हरे पेड़़-पौधे हों. हम इनका महत्व नहीं समझ पाए. आज हालात ये हैं कि हजारों रुपये देकर ऑक्सीजन खरीदनी पड़ रही है, जबकि यही ऑक्सीजन हमें फ्री में देने वाले पेड़ों के बारे में हमें पता तक नहीं है. चलिए आज आपको ऐसे 10 पेड़ों के बारे में बताते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पर्यावरण को देने की क्षमता है.


बरगद का पेड़ ( Banyan tree) भारत का राष्ट्रीय पेड़ है. इसकी वजह भी यही है कि ये पेड़ कार्बन डाइ ऑक्साइड लेता है और इसके बदले ऑक्सीजन रिलीज़ करता है (Absorb CO2 and release Oxygen). बरगद के पेड़ की खासियत ये भी है कि इसकी उम्र सैकड़ों साल होती है. भारत में सबसे पुरान वटवृक्ष यानि बरगद का पेड़ कोलकाता में मौजूद है. सोचिए इस त्रासदी के काल में अगर शहरों में बरगद के पेड़ अच्छी संख्या में होते तो कितना फायदा होता.

पीपल (Peepal tree ) के पेड़ को अश्वत्ता का पेड़ भी कहते हैं. भारतीय धर्मशास्त्रों में पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है. बौद्ध और जैन धर्म में भी इसका खासा महत्व है. ये पेड़ भी ऑक्सीजन का बड़ा अच्छा स्रोत है. इसके अलवा अस्थमा, डायबिटीज और डायरिया जैसी बीमारियों में भी पीपल काफी लाभकारी है.

नीम के पेड़ को इंडियन लिलिऐक (Indian lilac) भी कहा जाता है. नीम के पेड़ की पत्तियां और फल नीम का तेल बनाने के काम आते हैं. ये एंटी बायोटिक और एंटी फंगल भी होता है. भारत में सालों से नीम के पेड़ की पत्तियां, फल-फूल और तेल कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल होते आ रहे हैं. ये ऑक्सीजन का भी बेहतरीन स्रोत है.

जामुन (Black Plum) का पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. इसका भी धार्मिक महत्व है और इसकी पत्तियां सजावट के काम आती हैं. जामुन खाने में खट्टा-मीठा होता है. इस पेड़ के फल तो सभी खाते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है इससे अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन भी रिलीज़ होता है. (credit-pixabay)

अशोक का पेड़ हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है. ये ओडिशा का राजकीय फूल भी है. अक्सर इस पेड़ तो बगीचों और दफ्तर के परिसरों में देखा जाता है. ये देखने में जितने सुंदर होते हैं, उतना ही पर्यावरण के लिहाज से लाभकारी है. इस पेड़ से भी ऑक्सीजन मिलती है. भारत के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी अशोक के पेड़ मिलते हैं.

आमला या आंवला का भी इस्तेमाल कोरोना काल में जबरदस्त तरीके से बढ़ा. ये फल साइट्रिक एसिड से भरपूर होता है और आयुर्वेद में इसे इंसान के शरीर के लिए काफी अच्छा माना गया है. तमाम दवाइयों में आंवला का इस्तेमाल होता है. इसके फल की तरह ही इसका पेड़ भी पर्यावरण की सेहत दुरुस्त रखता है.

औदुम्बर या गूलर का पेड़ काफी तेज़ी बढ़ता है और इसका भी महत्व हिंदू धर्म में है. इसका इस्तेमाल दवा के तौर पर भी किया जाता है. बंदरों के प्रिय गूलर के पेड़ से ऑक्सीजन मिलती है और खास बात ये है कि छंटाई के बाद ये तेज़ी से बढ़ जाता है.

करीपत्ते को भारत में मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसका पेड़ भी अपने आपमें पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में काफी योगदान देता है. आसानी से लग जाने वाले इस पेड़ को घरों में लगाया जाता है. ये भी तेज़ी से बढ़ता है और इसके फूल सफेद रंग के होते हैं.

अर्जुना या अमरख का पेड़ भारत में आसानी से मिल जाने वाला पेड़ है. ये पेड़ ज्यादातर सूखी हुई नदियों के किनारे दिखता है. इसकी पत्तियों पर टसर रेशम के कीड़े होते हैं और इससे रेशम भी मिलता है. इस पेड़ को दिल का रक्षक भी कहते हैं क्योंकि इसका फल दवाइयों में इस्तेमाल होता है.

साभार-news18





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