इस समय देश के अंदर इलेक्शन का माहौल चल रहा है. हर तरफ इलेक्शन हैं. आज हिमाचल प्रदेश के नगर निकाय चुनाव का परिणाम आया है और दूसरी तरफ यूपी में पंचायत चुनाव होने वाले है. इतना ही नही बंगाल में भी इसी साल मई तक विधानसभा चुनाव भी होने की उम्मीद है. अब यूपी के पंचायत चुनाव की बात करें तो इस चुनाव से ये कयास लगाये जा रहे है कि 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के लिए ये पंचायत चुनाव सेमीफाइनल की तरह है. इन सबके बीच पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार ने कुछ गाइडलाइनस जारी कर दी हैं.
इस बार जो भी विधायक या सासंद अपने बेटे बेटी और नाती पोतो को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे है उनको लिए ये बुरी खबर है. बीजेपी के आलाकमान ने एक पत्र जारी कर के हडकंप मचा दिया है. इस बार जिन विधायकों और सांसदों ने अपने बेटों को जिला पंचायत सदस्य बनाने के बाद अध्यक्ष बनाने का सपना संजोया होगा, उन्हें निराशा ही मिलेगी. यही नियम संगठन के उन पदाधिकारियों पर भी शामिल होगा, जो पंचायत चुनाव के गठित कमेटियों में कहीं न कहीं कोई जिम्मेदारी के पद पर हैं. भाजपा के वे लोग कहीं न कहीं एडजस्ट किए जा चुके हैं, चाहे वह नगर पंचायत हो, चाहे सहकारिता वह भी पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे और उनके परिवार के सदस्य ही पंचायत चुनाव में भाग्य आजमा सकते हैं.
भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय महामंत्री राकेश मिश्रा अनावां बताते हैं कि ‘पार्टी ने पंचायत चुनाव के लिए जो गाइड लाइन जारी की है, उसके तहत जनप्रतिनिधियों के सगे संबंधी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. यही नियम संगठन के उन लोगों पर भी लागू होता है, जिन लोगों के पास संगठन की पंचायत में कहीं न कहीं कोई न कोई जिम्मेदारी है. क्षेत्रीय महामंत्री बताते हैं कि भाजपा ने ऐसा इसलिए किया है कि नये लोगों को भी मौका मिलता रहे’.
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