भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कांग्रेस पार्टी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है, क्योंकि इसी राजनीतिक संगठन ने देश में आजादी की लड़ाई की अगुवाई की और भारतीय जनमानस में स्वतंत्रता की चेतना जगाई। हर वर्ष 28 दिसंबर को कांग्रेस स्थापना दिवस पूरे देश में उत्साह, गौरव और ऐतिहासिक स्मृतियों के साथ मनाया जाता है। वर्ष 1885 में मुंबई (तत्कालीन बंबई) में ब्रिटिशकालीन शासन के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी। इसका उद्देश्य भारतीयों के हितों और अधिकारों की रक्षा करना तथा शासन प्रणाली में भारतीयों की भागीदारी सुनिश्चित करना था।
कांग्रेस की नींव उस समय रखी गई जब देश पर ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरें कसी हुई थीं और भारतीयों की आवाज दबा दी जाती थी। दादाभाई नौरोजी, एओ ह्यूम, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे महान नेताओं ने एक ऐसा मंच तैयार किया जिसने आगे चलकर राष्ट्रीय आंदोलन का रूप लिया। बाद के वर्षों में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे महान सपूतों ने कांग्रेस को एक जनांदोलन का स्वरूप प्रदान किया। सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक अभियानों के माध्यम से कांग्रेस ने देशवासियों को एकजुट किया और अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली।
कांग्रेस न केवल स्वतंत्रता संग्राम का पर्याय रही है बल्कि स्वतंत्र भारत के निर्माण में भी उसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। संविधान निर्माण से लेकर लोकतांत्रिक संस्थानों की स्थापना, पंचायतीराज व्यवस्था, वैज्ञानिक विकास, हरित क्रांति और शिक्षा के विस्तार में कांग्रेस सरकारों के योगदान को आज भी याद किया जाता है। भारत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में भी इस संगठन ने निर्णायक भूमिका निभाई।
आज के संदर्भ में कांग्रेस स्थापना दिवस केवल एक ऐतिहासिक क्षण का उत्सव नहीं है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देने का अवसर है कि राष्ट्र निर्माण निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। आज भी जरूरत है कि देश इसी राष्ट्रीय मूल भावना, संघर्ष और एकता की प्रेरणा से आगे बढ़े, ताकि समाज में समरसता, लोकतंत्र और विकास की रोशनी बनी रहे।
अंत में यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस का इतिहास केवल एक पार्टी का इतिहास नहीं, बल्कि भारत की आजादी, संघर्ष और प्रगति के अध्यायों का संग्रह है। स्थापना दिवस हमें यह याद दिलाता है कि देश के लिए किए गए बलिदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे और हमें राष्ट्रहित सर्वोपरि रखने का संकल्प लगातार नवीनीकृत करते रहना चाहिए।
जीरा बस्ती, बलिया (उ.प्र.)



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