संसद भवन की रक्षा में अमर बलिदान : 13 दिसंबर के शहीदों को राष्ट्र की भावपूर्ण श्रद्धांजलि


13 दिसंबर 2001 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐसा दिन है, जिसे देश कभी भुला नहीं सकता। इसी दिन आतंकवादियों ने भारत की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था—संसद भवन—पर कायराना हमला कर राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और संविधान पर प्रहार करने का प्रयास किया। यह वह क्षण था, जब देश की सुरक्षा में तैनात वीर सपूतों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की और अपने अदम्य साहस, शौर्य व कर्तव्यनिष्ठा से आतंकवाद के मंसूबों को विफल कर दिया। इस हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों का बलिदान भारत की आत्मा में सदैव जीवित रहेगा।

हमले के दौरान संसद परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने जिस तत्परता, साहस और सूझबूझ का परिचय दिया, वह भारतीय सुरक्षा बलों की उच्च परंपरा का प्रतीक है। आतंकियों का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों को नुकसान पहुँचाकर देश में अराजकता फैलाना था, किंतु हमारे वीर जवानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर न केवल सांसदों और कर्मचारियों की रक्षा की, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत का लोकतंत्र अडिग है और किसी भी आतंकी साजिश के सामने झुकने वाला नहीं है।

इन अमर शहीदों का बलिदान केवल एक घटना नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च समर्पण की मिसाल है। उन्होंने यह संदेश दिया कि देश की सुरक्षा, संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए भारतीय सपूत हर समय तैयार हैं। उनका साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है, जो हमें कर्तव्य, अनुशासन और देशभक्ति का अर्थ सिखाता है।

आज, जब हम 13 दिसंबर को उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तो यह केवल स्मरण का क्षण नहीं, बल्कि संकल्प का अवसर भी है। संकल्प कि हम आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट रहेंगे, लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा की रक्षा करेंगे और अपने शहीदों के सपनों का भारत—शांत, सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध—निर्माण करेंगे।

राष्ट्र उन अमर वीरों के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया है; वह हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित करता रहेगा। अमर शहीदों को शत-शत नमन, विनम्र श्रद्धांजलि।


धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️ 

सहतवार, बलिया (उ.प्र.)

मो. नं. - 9454046303





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