जब स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं, तो कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपका सबसे भरोसेमंद साथी बन सकती है. यह न केवल हॉस्पिटलाइज़ेशन के बड़े खर्चों को कवर करती है, बल्कि अचानक से सामने आने वाले मेडिकल खर्चों के बोझ से आपकी बचत को भी सुरक्षित रखती है. लेकिन मेडिकल बिल हॉस्पिटल में रहने तक सीमित नहीं होते हैं. प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन टेस्ट, डॉक्टर कंसल्टेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन ट्रीटमेंट के खर्च आपके बिलों को काफी हद तक बढ़ा देते हैं. एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान इन अतिरिक्त खर्चों का भी ध्यान रखता है, यह सुनिश्चित करता है कि आपको न सिर्फ हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान बल्कि डायग्नोसिस और रिकवर होने तक पूरी तरह से आर्थिक मदद मिलती रहे.
चलिए जान लेते हैं कि आपको ऐसी पॉलिसी में क्यों इन्वेस्ट करना चाहिए :-
प्री हॉस्पिटलाइज़ेशन खर्च क्या हैं? :- हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले, आपका डॉक्टर आपकी बीमारी का पता लगाने और सही इलाज तय करने के लिए कुछ टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट या एक्स-रे करवाने के लिए कह सकता है. इन्हें प्री-हॉस्पिटलाइज़ेशन खर्च कहा जाता है. अगर हॉस्पिटल में भर्ती होने से 30 दिनों के भीतर टेस्ट किए जाते है, तो अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी इन खर्चों को कवर करती हैं. हालांकि, कवर किए गए दिनों की सही संख्या इंश्योरेंस कंपनी के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन खर्च क्या हैं? :- डिस्चार्ज होने के बाद, आपकी रिकवरी की प्रक्रिया वहीं खत्म नहीं होती. आपको दवाएं खरीदनी पड़ सकती हैं, फिर से अपने डॉक्टर से संपर्क करना पड़ सकता है, या यह सुनिश्चित करने के लिए फॉलो-अप टेस्ट करवाने पड़ सकते है कि आप ठीक से रिकवर हो रहे हैं या नहीं. इन्हें पोस्ट-हॉस्पिटलाइज़ेशन खर्च कहा जाता है. हेल्थ इंश्योरेंस अक्सर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद 60 दिनों तक इन खर्चों को कवर करता है. हालांकि, एक्यूपंक्चर या अन्य वैकल्पिक थेरेपी जैसे ट्रीटमेंट को कवर नहीं किया जाता है. दरअसल कवरेज की अवधि आपके द्वारा चुने गए विशिष्ट हेल्थ प्लान पर निर्भर करती है.
हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले और बाद के लाभ : कम मेडिकल खर्च: कई ट्रीटमेंट ब्लड रिपोर्ट, स्कैन या डॉक्टर कंसल्टेशन जैसे टेस्ट से शुरू होते हैं और अक्सर दवाओं और डिस्चार्ज होने के बाद फॉलो-अप तक बने रहते हैं. यह कवरेज सुनिश्चित करता है कि इन खर्चों का ध्यान आपकी इंश्योरेंस कंपनी रखे, ताकि आपको अपनी बचत से भुगतान न करना पड़े.
कम फाइनेंशियल तनाव : जब आपका हेल्थ इंश्योरेंस हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले और बाद के मेडिकल खर्चों का भुगतान करता है, तो आप बिलों की चिंता किए बिना अपने स्वास्थ्य सुधार पर ध्यान दे सकते हैं. यह आपको बिना किसी चिंता और सुकून के साथ रिकवर होने में मदद करता है.
एमरजेंसी के लिए बेहतर तैयारी : स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अचानक आ सकती हैं. अगर आपकी पॉलिसी इलाज को शुरू से अंत तक कवर करती है, जिसमें हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले के टेस्ट और डिस्चार्ज के बाद तक की देखभाल शामिल है, तो अप्रत्याशित खर्चों का मैनेज करना आसान हो जाता है और आपको पैसों के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती. उदाहरण के लिए, हृदय से संबंधित एमरजेंसी में हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले टेस्ट और बाद में रीहैब (स्वस्थ होने के लिए उपचार) शामिल हो सकते हैं. फुल कवरेज आपको समय पर सही देखभाल प्राप्त करने में मदद करता है.
रिटायरमेंट सेविंग की सुरक्षा : अगर आपका हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल खर्चों की बड़ी रेंज को कवर करता है, तो आपको मेडिकल बिल का भुगतान करने के लिए अपनी लॉन्ग-टर्म सेविंग या रिटायरमेंट फंड को छूने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. इसका मतलब है कि जब आपकी सेहत का ख्याल रखा जाएगा, तो आपके निवेश सुरक्षित रहेंगे.
मेडिकल खर्च हॉस्पिटल से शुरू होकर, हॉस्पिटल में ही खत्म नहीं होते. डायग्नोसिस से पहले ज़रूरी टेस्ट से लेकर डिस्चार्ज के बाद रिकवरी ट्रीटमेंट तक, खर्च काफी ज़्यादा हो सकते हैं. हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले और बाद के कवरेज को शामिल करने वाला हेल्थ इंश्योरेंस प्लान यह सुनिश्चित करता है कि आप न केवल हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान, बल्कि पूरी ट्रीटमेंट प्रोसेस के दौरान फाइनेंशियल रूप से सुरक्षित रहें. ध्यान दें- क्लेम करने से पहले हमेशा चेक करें कि आपकी पॉलिसी में इलाज से पहले और बाद के कितने दिनों के खर्च कवर किए जाते हैं. पहले से इन बातों की जानकारी रखना आपको किसी भी अचानक से सामने आने वाले बड़े खर्चों से बचाता है और आपके इंश्योरेंस लाभों का पूरा फायदा उठाने में मदद करता है.
श्री भास्कर नेरुरकर ✍️
हेड-हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम
बजाज जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड
(पूर्व नाम बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड)


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