गाँव से जगाई उम्मीद की लौ : सहरसपाली का अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय बना लाखों आँखों का सहारा


बलिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जनपद बलिया की पहचान अब शिक्षा, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली परंपरा तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह जनपद नेत्र चिकित्सा की दुनिया में भी एक नए परिवर्तन का केंद्र बन चुका है। सहरसपाली गांव में संचालित अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय पिछले 11 वर्षों से आंखों की रोशनी खो चुके लोगों के लिए आशा की किरण बनकर कार्य कर रहा है। यहाँ हर वर्ष हजारों मरीज नई रोशनी पाते हैं और नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाते हैं।

इस चिकित्सालय की स्थापना 25 मई 2014 को तत्कालीन जिला जज चिंतामणि तिवारी के हाथों हुई थी। उद्घाटन के दिन से ही यह संस्थान बिना रुके, बिना थके सेवा का अपना पवित्र मिशन निभाता आ रहा है। सीमित संसाधनों से शुरू हुई यह पहल धीरे-धीरे पूर्वांचल के सबसे बड़े नेत्र चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित हो चुकी है।

अस्पताल की सफलता को उसके आँकड़े खुद बयां करते हैं। प्रतिवर्ष 13,000 से 14,000 नेत्र ऑपरेशन यहां सफलतापूर्वक किए जाते हैं, जिनमें से 10,000 से 11,000 बिल्कुल निःशुल्क होते हैं। इसके अतिरिक्त 3,500 से 4,000 मरीजों का लेंस प्रत्यारोपण भी अत्यंत कम शुल्क पर किया जाता है। अब तक लगभग 1.25 लाख मरीजों को इस अस्पताल ने दृष्टि लौटाने का महान कार्य किया है। दूर-दराज के गांवों से आने वाले मरीजों के लिए यह संस्थान किसी वरदान से कम नहीं है।

चिकित्सालय के प्रबंधक ब्रजेश पांडे अपने सौम्य स्वभाव, विनम्रता और सेवा भावना के कारण मरीजों के बीच विशेष लोकप्रिय हैं। मरीजों का कहना है कि उनकी मधुर वाणी आधा दर्द दूर कर देती है और बाकी इलाज यहां के कुशल चिकित्सक पूरी निष्ठा से कर देते हैं। अस्पताल में अत्याधुनिक तकनीकों से मोतियाबिंद ऑपरेशन, लेंस प्रत्यारोपण, नखूना ऑपरेशन जैसी सभी प्रमुख नेत्र सेवाएं उपलब्ध हैं। यहां गरीब–अमीर, किसी भी प्रकार का भेदभाव किए बिना समान सुविधा दी जाती है।

अखंड ज्योति नेत्र चिकित्सालय का मुख्य और भव्य केंद्र मस्तीचक, छपरा (बिहार) में स्थित है। यहां रेटिना और पर्दा से जुड़ी जटिल बीमारियों का आधुनिक उपकरणों से इलाज किया जाता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम 24 घंटे सेवा के लिए तत्पर रहती है, जिससे मरीजों को उच्चस्तरीय उपचार मिल सके।

पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार के हजारों गरीब मरीज, जो आर्थिक तंगी के कारण महंगे अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाते, उनके लिए यह चिकित्सालय वास्तव में आंखों की संजीवनी बूटी बन गया है। यहां पहुंचकर मरीज न केवल इलाज पाते हैं, बल्कि जीवन में वापस लौट आई रोशनी के साथ नई उम्मीद भी ले जाते हैं।

✍️ परिवर्तन चक्र समाचार सेवा



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