यूपी पंचायत चुनाव : तारीख पर संशय, लेकिन गांवों में चुनावी माहौल चरम पर


लखनऊ। यूपी पंचायत चुनाव की तारीख भले ही सरकारी फाइलों में अटकी पड़ी हो, लेकिन गांवों में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हुई है, फिर भी ग्रामीण इलाकों में माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है। चौपालों, चट्टी-चौराहों, बाजारों और गली-कूचों में एक ही चर्चा सबसे ज्यादा गर्म है—“चुनाव आखिर कब होंगे?”

चुनावी तारीख घोषित न होने के बावजूद संभावित प्रत्याशी कई हफ्तों से प्रचार-प्रसार में जोर-शोर से जुटे हैं। गांवों में सामाजिक कार्यक्रमों में भीड़ बढ़ गई है, चौपालों पर बैठकों की रौनक दिखाई दे रही है और दावेदार दरवाजे-दरवाजे पहुंचकर जनसंपर्क को तेज कर रहे हैं।

आरक्षण प्रक्रिया में देरी, समय पर चुनाव की संभावना कमजोर

नियमों के मुताबिक पंचायत चुनाव अप्रैल–मई 2026 में होने चाहिए, लेकिन अभी तक सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू न होने से समय पर चुनाव कराना मुश्किल माना जा रहा है। आरक्षण जारी होने तक न तो आधिकारिक घोषणा होगी और न ही चुनावी कैलेंडर तय हो पाएगा।

पंचायत चुनाव में कितना खर्च कर सकते हैं प्रत्याशी?
पंचायती राज विभाग के अनुसार चुनाव खर्च की अनुमानित सीमा इस प्रकार है—

  • सदस्य ग्राम पंचायत: ₹10,000
  • ग्राम प्रधान: ₹1,25,000
  • सदस्य क्षेत्र पंचायत: ₹1,00,000
  • सदस्य जिला पंचायत: ₹2,50,000
  • प्रमुख क्षेत्र पंचायत: ₹3,50,000
  • अध्यक्ष जिला पंचायत: ₹7,00,000

हालाँकि अंतिम सीमा चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद ही तय की जाएगी, फिर भी संभावित प्रत्याशी इन्हीं अनुमानों के आधार पर तैयारी कर रहे हैं।

देरी बनी प्रत्याशियों के लिए मौका, मतदाताओं के लिए चर्चा का मौसम

चुनावी घोषणा में हो रही देरी प्रत्याशियों के लिए अतिरिक्त प्रचार का स्वर्णिम अवसर बन गई है। बिना किसी आधिकारिक आचार संहिता की पाबंदी के दावेदार अपनी पकड़ मजबूत करने में लगे हुए हैं। उधर, मतदाता भी इस बार पहले से ज्यादा सजग दिख रहे हैं और उम्मीदारों के पिछले कामकाज से लेकर भविष्य की योजनाओं तक का आकलन शुरू कर चुके हैं।

गांवों की हर चर्चा अब पंचायत चुनाव के इर्द-गिर्द घूम रही है, जबकि तारीख का इंतजार अब भी जारी है।



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