विश्व संयम दिवस : आत्मसंयम और संतुलित जीवन की प्रेरणा


मनुष्य का जीवन तभी सार्थक और सफल बन सकता है जब उसमें संयम का गुण विद्यमान हो। संयम केवल आचरण की मर्यादा नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन दर्शन है। इसी महान संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष “विश्व संयम दिवस” मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भोग, लालच, क्रोध, अहंकार और असंयम से भरा जीवन विनाश का कारण बनता है, जबकि संयम से भरा जीवन शांति, समृद्धि और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

संयम का अर्थ और महत्व

संयम का शाब्दिक अर्थ है – स्वयं पर नियंत्रण रखना।
यह केवल खान-पान तक सीमित नहीं है, बल्कि विचार, वाणी, व्यवहार और इच्छाओं पर नियंत्रण भी संयम कहलाता है। जिस प्रकार एक नदी अपने किनारों में बहते हुए समाज को पोषण देती है, उसी प्रकार संयमित जीवन मनुष्य को उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली में असंयम सबसे बड़ी समस्या है। अत्यधिक भोग-विलास, तनाव, प्रदूषण, नशे की प्रवृत्ति, अनियंत्रित इच्छाएँ और तकनीक का दुरुपयोग – ये सब असंयम के परिणाम हैं। ऐसे में संयम की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

संयम का धार्मिक और दार्शनिक आधार

भारत की ऋषि-मुनि परंपरा में संयम को सर्वोच्च गुण माना गया है।

  • जैन धर्म में संयम को मोक्ष मार्ग की अनिवार्य शर्त बताया गया है। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह – ये सभी संयम के ही रूप हैं।
  • हिंदू धर्म में गीता का उपदेश है कि इंद्रियों पर नियंत्रण ही योग है।
  • बौद्ध दर्शन में मध्यम मार्ग को अपनाना संयम का सर्वोत्तम रूप है।
  • यहाँ तक कि आधुनिक मनोविज्ञान भी मानता है कि आत्मनियंत्रण रखने वाला व्यक्ति तनाव, अवसाद और व्यसन से बचकर स्वस्थ जीवन जी सकता है।

विश्व संयम दिवस की प्रासंगिकता

इस दिवस को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य समाज में संयम की महत्ता को जागरूक करना है।

  • युवा पीढ़ी को नशे और असंयमित आदतों से दूर कर सही दिशा देना।
  • खान-पान में संयम का महत्व समझाना ताकि लोग मोटापा, मधुमेह और अन्य बीमारियों से बच सकें।
  • वाणी में संयम लाने की प्रेरणा देना ताकि समाज में वैमनस्य के बजाय शांति और सौहार्द स्थापित हो।
  • तकनीक और सोशल मीडिया के उपयोग में संयम लाना ताकि यह साधन हमारे जीवन का साधक बने, बाधक नहीं।

संयम से होने वाले लाभ

  1. स्वास्थ्य लाभ – संयमित खानपान और जीवनशैली से व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान रहता है।
  2. मानसिक शांति – आत्मसंयम रखने वाला व्यक्ति क्रोध, ईर्ष्या और चिंता से मुक्त होकर शांत रहता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति – संयम मनुष्य को आत्मज्ञान और ईश्वर की ओर अग्रसर करता है।
  4. सामाजिक समरसता – संयमित व्यक्ति दूसरों के अधिकारों का सम्मान करता है, जिससे समाज में शांति और सद्भाव बढ़ता है।

निष्कर्ष
आज का युग अत्यधिक उपभोग, प्रतिस्पर्धा और भोगवाद की ओर बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में विश्व संयम दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जीवन का वास्तविक सुख संयम और संतुलन में ही छिपा है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने विचार, वाणी और आचरण में संयम का पालन करे, तो न केवल उसका जीवन सुखी और स्वस्थ होगा, बल्कि सम्पूर्ण विश्व में शांति और सौहार्द की स्थापना होगी।

इसलिए, आइए इस विश्व संयम दिवस पर हम सभी यह संकल्प लें कि –“संयम ही सर्वोत्तम आभूषण है और यही सच्चा जीवन दर्शन है।”

परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️ 




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