हर वर्ष भारत में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य दिवस (National Child Health Day) बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक सशक्तिकरण और समग्र विकास के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिवस बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य के संरक्षण का एक सशक्त संदेश देता है। क्योंकि एक स्वस्थ बालक ही आगे चलकर एक सक्षम नागरिक और देश का भविष्य निर्माता बनता है।
बाल स्वास्थ्य का महत्व
बच्चे किसी भी समाज की सबसे मूल्यवान पूंजी होते हैं। उनका स्वस्थ होना न केवल उनके व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की प्रगति से जुड़ा हुआ है। स्वस्थ बच्चे ही भविष्य में एक स्वस्थ समाज, मजबूत राष्ट्र और विकसित भारत की नींव रखते हैं।
बाल स्वास्थ्य केवल रोगों से मुक्त रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह बच्चे के समग्र विकास — शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक संतुलन — का प्रतीक है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है —
- बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- पोषण, टीकाकरण और स्वच्छता के महत्व को बताना।
- शिक्षा के साथ स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना।
- रोगों की समय पर पहचान और उपचार के लिए प्रोत्साहित करना।
- अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना।
भारत सरकार के प्रमुख बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
भारत में बच्चों के सर्वांगीण स्वास्थ्य के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई हैं, जैसे—
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) : इसमें 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच, स्क्रीनिंग और उपचार की सुविधा दी जाती है।
- आंगनवाड़ी और मिड-डे मील योजना : बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की एक सशक्त पहल।
- पल्स पोलियो अभियान : भारत को पोलियो-मुक्त बनाने की ऐतिहासिक सफलता।
- POSHAN अभियान : कुपोषण मुक्त भारत की दिशा में प्रभावी प्रयास।
- राष्ट्रीय बालिका दिवस और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना : बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित।
स्वच्छता और पोषण का सीधा संबंध
मानसिक स्वास्थ्य भी है उतना ही जरूरी
समाज की भूमिका
निष्कर्ष : स्वस्थ बाल, उज्ज्वल भारत
धीरेन्द्र प्रताप सिंह ✍️
सहतवार, बलिया (उ.प्र.)
मो. नं. - 9454046303



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