बलिया में गूंजा इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्नेह मिलन समारोह


“संघे शक्ति कलियुगे” की प्रतिध्वनि से गूंज उठा बलिया 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व व नवागत छात्रों का स्नेह मिलन समारोह ऐतिहासिक बना

बलिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं उससे संबद्ध संस्थाओं के पूर्व व नवागत छात्रों का भव्य स्नेह मिलन समारोह आज 24 अक्टूबर को टी.डी. कॉलेज के मैदान में अद्वितीय उत्साह और आत्मीयता के साथ सम्पन्न हुआ।

यह आयोजन केवल औपचारिक नहीं, बल्कि अपने गौरवशाली अतीत को स्मरण कर भविष्य की दिशा तय करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण सिद्ध हुआ।

कार्यक्रम में हजारों पूर्व छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे औरसंघे शक्ति कलियुगेके अमर सूत्र को पुनः जीवंत किया। विश्वविद्यालय की वैचारिक समृद्धि, बौद्धिक परंपरा और सामाजिक उत्तरदायित्व को आगे बढ़ाने की भावना ने पूरे माहौल को भावनात्मक बना दिया।


राजनीतिक भेद से ऊपर उठकर ‘एक परिवार’ बना विश्वविद्यालय समुदाय

इस समारोह की सबसे विशेष बात यह रही कि भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा सहित विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि, न्यायाधीश, अधिवक्ता, शिक्षक, चिकित्सक, लिपिक, पत्रकार सभी एक ही मंच पर एक साथ मौजूद थे। किंतु किसी ने अपने पद या राजनीतिक पहचान का परिचय नहीं दिया।

सभी ने एक स्वर में कहा — हम पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र हैं, उसके बाद कुछ और।
यह दृश्य अत्यंत प्रेरणादायक और एकता का प्रतीक बन गया।


दीप प्रज्वलन से आरंभ हुआ ‘ज्ञान और चेतना’ का उत्सव

कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन का कार्य राघवेंद्र सिंह, रामाधीन सिंह, उपेंद्र तिवारी, पी.डी. सिंह, डॉ. सुदर्शन तिवारी, अखिलेश सिंह, गिरीश कुमार सिंह, अरविंद शुक्ला सहित मंच के वरिष्ठ सदस्यों ने संयुक्त रूप से किया। दीप की ज्योति विश्वविद्यालय की ज्ञानपरंपरा, एकता और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बनी।


स्मृतियाँ और संवेदनाएँ—“इलाहाबाद फिर याद आया”

संचालन कर रहे संजीव सिंह ने हॉलैंड हाल निवासी होने का परिचय देते हुए बालसन चौराहा, अल्लाहपुर, कटरा बाजार, सिविल लाइंस जैसी ऐतिहासिक गलियों का उल्लेख किया, जिससे पूरा पंडाल पुरानी यादों में खो गया।


पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी ने कहा —

“बहुत दिनों बाद राजनीतिक मंचों से अलग होकर अपने परिवार और मित्रों के बीच सुकून के पल जी रहा हूँ। सुख में हम साथ खड़े हों या न हों, दुख की घड़ी में यह विश्वविद्यालय परिवार हमेशा एकजुट रहेगा।”


छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रामाधीन सिंह ने कहा —

“आज यहाँ बलिया, गाजीपुर, देवरिया, आज़मगढ़ जैसी सभी सीमाएँ समाप्त हो चुकी हैं। केवल एक पहचान है — इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र। यह विश्वविद्यालय भारत का बौद्धिक मेरुदंड है।”


अखिलेश राय ने कहा —

“इस मंच का उद्देश्य अनुभव साझा करना, सीखना और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। यह राजनीति से ऊपर एक सांस्कृतिक व बौद्धिक परिवार के रूप में कार्य करेगा।”

‘स्नेह मिलन मंच (इ०वि०वि०)’ की स्थापना — सेवा, शिक्षा और सहयोग का संकल्प

🔹सभी उपस्थित सदस्यों ने यह प्रस्ताव पारित किया कि मंच का नाम “स्नेह मिलन मंच (इ०वि०वि०)” होगा।
🔹हर वर्ष दीपावली और छठ पर्व के मध्य इस आयोजन को परंपरागत रूप से आयोजित किया जाएगा।
🔹सदस्यता ऐप के माध्यम से होगी और मंच शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक सहयोग के क्षेत्र में सक्रिय रहेगा।


सम्मान समारोह में झलकी पारिवारिक एकजुटता

लगभग 200 प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान विश्वविद्यालयीय परिवार की उस परंपरा का प्रतीक बना, जिसमें हर सदस्य की पहचान और योगदान को आदरपूर्वक स्वीकार किया जाता है।


समापन ‘जय बरगदिया परिवार’ के उद्घोष के साथ

धन्यवाद ज्ञापन अखिलेश सिंह, विपिन कांत सिंह, अनुज राय, लल्लन सिंह, सुदर्शन तिवारी, रामेश्वर सिंह और संजय सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

समारोह जय बरगदिया परिवारऔर विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य “Quot Rami Tot Arbores” (जितनी शाखाएँ, उतने वृक्ष) के उद्घोष के साथ संपन्न हुआ। अंत में सभी साथियों ने मिलकर स्नेह भोज का आनंद लिया।




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