इंटरनेट : आधुनिक युग की नसों में बहता ज्ञान का प्रवाह
हर वर्ष 29 अक्टूबर को अंतराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस मनाया जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाता है जब दुनिया ने पहली बार इंटरनेट के रूप में एक ऐसी तकनीक को अपनाया जिसने मानव सभ्यता की दिशा ही बदल दी। इंटरनेट ने न केवल संचार का तरीका बदला, बल्कि शिक्षा, व्यापार, शासन, मनोरंजन और सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र को नई पहचान दी।
इंटरनेट का इतिहास और महत्व
29 अक्टूबर 1969 को अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलिस (UCLA) में पहला सफल इंटरनेट संदेश (ARPANET) भेजा गया था। यही वह क्षण था जिसने “इंटरनेट युग” की शुरुआत की। धीरे-धीरे यह तकनीक पूरी दुनिया में फैलती चली गई और आज हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 15 अगस्त 1995 को वीएसएनएल (VSNL) के माध्यम से हुई थी। उस समय यह सेवा सीमित शहरों तक ही सीमित थी, लेकिन आज भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट उपभोक्ताओं में से एक है।
भारत में डिजिटल क्रांति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया “डिजिटल इंडिया अभियान” इंटरनेट को देश के हर गांव, हर घर तक पहुंचाने का माध्यम बना। आज सरकारी सेवाएं, बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, और कृषि तक इंटरनेट आधारित हो चुके हैं।
भारत में मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 80 करोड़ से अधिक हो चुकी है, और ग्रामीण भारत में भी तेजी से डिजिटल साक्षरता बढ़ रही है।
इंटरनेट का सकारात्मक प्रभाव
- शिक्षा में बदलाव – ऑनलाइन क्लास, ई-लाइब्रेरी, डिजिटल यूनिवर्सिटी जैसी पहल ने ज्ञान को हर छात्र तक पहुंचाया।
- ई-गवर्नेंस – अब सरकारी सेवाएं क्लिक पर उपलब्ध हैं, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है।
- व्यापार और रोजगार – स्टार्टअप, ई-कॉमर्स, और फ्रीलांसिंग ने युवाओं को नए अवसर दिए हैं।
- समाज और संचार – सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति को स्वतंत्रता दी है और दुनिया को जोड़ दिया है।
सावधानी की आवश्यकता
निष्कर्ष
राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस केवल एक तकनीकी उपलब्धि का स्मरण नहीं, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी प्रेरित करता है कि हम इस अद्भुत साधन का उपयोग मानवता, विकास और ज्ञान के प्रसार के लिए कैसे करें।



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