बलिया में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के तहत चिकित्सकों को दिया गया प्रशिक्षण, विशेषज्ञों ने बताई त्वरित उपचार की तकनीकें


बलिया। सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में जनपद के 50 चिकित्साधिकारियों ने भाग लिया। राहत आयुक्त भानू चंद्र गोस्वामी ने सर्पदंश के बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सकों को वैज्ञानिक व व्यावहारिक प्रशिक्षण देने पर बल दिया। राज्य स्तर पर प्रबंधक कार्मिक शांतनु द्विवेदी ने समन्वय का दायित्व संभाला, जबकि सर्पदंश कंसल्टेंट काव्या शर्मा ने प्रशिक्षण की रूपरेखा और तकनीकी विषयवस्तु तैयार की।

जिलाधिकारी के निर्देशानुसार सर्पदंश के क्लिनिकल प्रबंधन पर जानकारी देते हुए डॉ. सुनील चन्द्रा और डॉ. आमिर इम्तियाज ने कहा कि चिकित्सकों के लिए यह आवश्यक है कि वे सर्पदंश के मामलों में त्वरित निर्णय लें और शीघ्र उपचार प्रारंभ करें। डॉ. दिग्विजय सिंह एवं डॉ. अतुलेन्द्र दत्त बागी ने विषैले और गैर-विषैले सर्पों की पहचान पर चर्चा की और बताया कि हर सर्पदंश जानलेवा नहीं होता, लेकिन पहचान में लापरवाही घातक साबित हो सकती है। उन्होंने रक्तस्राव, मांसपेशियों की कमजोरी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों की पहचान पर विशेष जोर दिया।

डॉ. आशीष श्रीवास्तव एवं डॉ. विक्रम सेन सोनकर ने ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश के प्रबंधन में चिकित्सकों की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि डॉक्टर केवल इलाज ही नहीं करते, बल्कि समुदाय में जागरूकता फैलाने का भी कार्य करते हैं।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने किया तथा संचालन डॉ. जियाउल हुदा ने किया। इस अवसर पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बलिया से आपदा विशेषज्ञ पीयूष कुमार सिंह, अमित कुमार सुमन, हसन रजा और नागेंद्र नारायण भी उपस्थित रहे।



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