अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : शांति और मानवता का मार्ग


हर वर्ष 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। यह दिन महात्मा गांधी की जयंती का प्रतीक है और उनके द्वारा दिए गए अहिंसा और सत्य के महान सिद्धांतों को पूरी दुनिया में याद किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को यह घोषणा की थी कि 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य विश्वभर के लोगों में सहिष्णुता, शांति, प्रेम और करुणा का संदेश फैलाना है।

अहिंसा का वास्तविक अर्थ

अहिंसा का अर्थ केवल हिंसा से दूर रहना नहीं है, बल्कि यह एक जीवन-दर्शन है।

  • मन से अहिंसा : किसी के प्रति बुरे विचार न रखना।
  • वचन से अहिंसा : कटु या चोट पहुँचाने वाले शब्दों से बचना।
  • कर्म से अहिंसा : किसी भी जीव-जंतु या मनुष्य को कष्ट न देना।

इस प्रकार अहिंसा केवल एक नकारात्मक रोक (violence से बचना) नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक सृजन भी है—दूसरों के लिए सहानुभूति, सहयोग और संवेदना का भाव रखना।

गांधीजी और अहिंसा की शक्ति

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को हिंसा के मार्ग से नहीं, बल्कि सत्याग्रह और अहिंसा के मार्ग से आगे बढ़ाया। उन्होंने दिखाया कि बिना हथियार उठाए भी अन्याय और अत्याचार का अंत किया जा सकता है।
उनका मानना था कि –

“अहिंसा मानव जाति का परम धर्म है। यह कमजोर का हथियार नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है।”

उनकी विचारधारा से प्रेरित होकर पूरी दुनिया में अनेक आंदोलनों ने अहिंसा को अपनाया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर (अमेरिका) और नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका) जैसे महान नेताओं ने भी गांधीजी के विचारों से प्रेरणा पाई और अपने देशों में शांति और न्याय की स्थापना की।

आज के युग में अहिंसा की आवश्यकता

21वीं सदी की दुनिया विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन साथ ही युद्ध, आतंकवाद, धार्मिक उग्रवाद, सामाजिक असमानता और हिंसा जैसी समस्याएँ भी बढ़ती जा रही हैं। ऐसे समय में अहिंसा की प्रासंगिकता और भी अधिक हो जाती है।

  • परिवार में अहिंसा : यदि हम परिवार में एक-दूसरे से प्रेम और सम्मान से पेश आएँ तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  • समाज में अहिंसा : जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव को दूर कर एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखें।
  • राजनीति में अहिंसा : मतभेद को युद्ध या हिंसा की जगह संवाद और समझौते से सुलझाया जा सकता है।
  • वैश्विक स्तर पर अहिंसा : अंतरराष्ट्रीय विवादों का हल केवल युद्ध से नहीं, बल्कि बातचीत और कूटनीति से ही संभव है।

अहिंसा के लाभ

  1. यह समाज में भाईचारा और एकता पैदा करती है।
  2. यह मानवाधिकारों की रक्षा करती है।
  3. यह शांति और स्थिरता को बढ़ावा देती है।
  4. यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करती है।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का संदेश

इस दिन विभिन्न देशों में रैलियाँ, गोष्ठियाँ, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को गांधीजी के जीवन और विचारों से परिचित कराया जाता है। यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि यदि हमें एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित भविष्य चाहिए, तो हमें हिंसा का त्याग कर अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा।

निष्कर्ष

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस हमें यह सिखाता है कि असली शक्ति हिंसा में नहीं, बल्कि अहिंसा में छिपी है। जब हर व्यक्ति अपने जीवन में अहिंसा को अपनाएगा, तभी परिवार, समाज और पूरी दुनिया में शांति स्थापित हो सकेगी। गांधीजी का यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था।
आइए, हम सब इस दिन संकल्प लें कि—
👉 विचारों में,
👉 वचनों में,
👉 और कर्मों में—
हम अहिंसा को अपनाएँ और विश्व को प्रेम, शांति और सद्भाव की ओर ले जाएँ। 

परिवर्तन चक्र समाचार सेवा ✍️ 



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