आजकल टैक्स बचाने के लिए लोग पत्नी या रिश्तेदार के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन अब ऐसा करना भारी पड़ सकता है। हाई कोर्ट के हालिया फैसले में साफ किया गया है कि अगर किसी प्रॉपर्टी की फंडिंग असली मालिक ने की है और नाम किसी और का है, तो वह बेनामी संपत्ति मानी जाएगी।
सरकार ने बेनामी लेन-देन निषेध अधिनियम 1988 और उसके 2016 के संशोधन के तहत ऐसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया है — जिसमें संपत्ति जब्त होने के साथ-साथ जुर्माना और जेल की सजा भी शामिल है।
अब अधिकारी सिर्फ प्रॉपर्टी के नाम पर नहीं, बल्कि फंडिंग स्रोत, बैंक ट्रांजैक्शन और असल मालिक की पहचान पर भी नजर रख रहे हैं। सरकार ने एक विशेष यूनिट भी बनाई है जो इन मामलों की जांच करती है।
अगर किसी व्यक्ति ने पत्नी के नाम पर संपत्ति ली है, तो उसे यह साबित करना होगा कि फंडिंग उसी की वैध आय से हुई है।
सरकार का संदेश साफ है : बेनामी संपत्ति रखना अब भारी अपराध है। किसी कानूनी झमेले से बचने के लिए हर लेन-देन में पारदर्शिता और टैक्स रिकॉर्ड की साफ-सुथरी जानकारी रखना अनिवार्य है।
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