श्रावण मास की प्रथम सोमवारी : शिवभक्ति का अनुपम आरंभ


श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग में देवाधिदेव भगवान शंकर की आराधना का सबसे पावन महीना माना जाता है। श्रावण मास की प्रथम सोमवारी का महत्व विशेष रूप से अद्वितीय है। इस दिन का व्रत और पूजा साधक को अनंत पुण्य प्रदान करते हैं और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पौराणिक महत्ता : पुराणों में वर्णन मिलता है कि समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला, तब सम्पूर्ण सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। तभी से श्रावण मास में जलाभिषेक द्वारा उनके कंठ की शीतलता बनाए रखने की परंपरा चली आ रही है। प्रथम सोमवारी पर जल, दूध, दही, शहद, घृत और गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से समस्त दोष समाप्त होते हैं।

व्रत और पूजा की विधि : प्रथम सोमवारी व्रत में प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिवालय में जाना शुभ माना जाता है। शिवलिंग का विधिपूर्वक पंचामृत से अभिषेक किया जाता है—

दूध से—आयुष्य वृद्धि होती है।

दही से—सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

घृत से—विपत्तियां दूर होती हैं।

शहद से—मधुरता आती है।

गंगाजल से—पाप नष्ट होते हैं।

इसके बाद बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के पुष्प और भांग अर्पित कर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप किया जाता है।

प्रथम सोमवारी का आध्यात्मिक महत्व : श्रावण की पहली सोमवारी से ही पूरे माह का शुभारंभ होता है। मान्यता है कि इस दिन जो श्रद्धालु व्रत रखते हैं और उपवास कर संकल्पपूर्वक शिवजी की आराधना करते हैं, उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

यह व्रत विशेषकर :—

विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने

सुख-शांति की प्राप्ति के लिए

संतान सुख की कामना के लिए

आरोग्य और आयुष बढ़ाने के लिए किया जाता है।

सावन की प्रथम सोमवारी के उपवास का फल : कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने वाला भक्त शिव का अत्यंत प्रिय बनता है। नीलग्रीव भगवान उसे पापों से मुक्ति प्रदान कर मोक्ष तक का पथ प्रशस्त कर देते हैं। इस व्रत का पुण्य सप्तजन्मों के पाप नाशक और अखंड सौभाग्यदाता माना गया है।

घर में शिव उपासना का महत्व : यदि भक्त किसी कारणवश मंदिर न जा सके तो घर में ही भगवान शिव का चित्र या मिट्टी का शिवलिंग स्थापित कर जलाभिषेक कर सकता है। दीप प्रज्ज्वलन, धूप, गंध, नैवेद्य आदि से पूजा करने से भी वही पुण्य प्राप्त होता है।

सावन की पहली सोमवारी पर विशेष संकल्प : इस अवसर पर भक्तगण यह संकल्प लेते हैं कि "हे भोलेनाथ! इस सावन में आपकी कृपा से मेरे तन-मन-धन को शुद्ध कर, मेरे ह्रदय को भक्ति से परिपूर्ण कर दीजिए। मैं इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करूँगा।"

शिवभक्तों के लिए संदेश : श्रावण मास की प्रथम सोमवारी पर शिवभक्ति का दीप प्रज्ज्वलित करें। यह अवसर न केवल साधना का, बल्कि आत्मिक शुद्धि का भी है। भक्तिभाव से किया गया यह व्रत जीवन में असीम शांति, समृद्धि और मंगल लाता है।

ॐ नमः शिवाय।








पंडित विजेंद्र शर्मा ✍️ 
जीरा बस्ती, बलिया। 





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