काशी, जिसे ‘आस्था की राजधानी’ कहा जाता है, आज आधुनिक चिकित्सा सेवा की भी राजधानी बनती जा रही है। इसके केंद्र में स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS-BHU) का प्रमुख अंग, चिकित्सा, शिक्षा और शोध का अद्वितीय संगम है। यह संस्थान न केवल वाराणसी या पूर्वांचल, बल्कि समूचे उत्तर भारत की स्वास्थ्य संरचना में एक रीढ़ की भूमिका निभा रहा है।
जब पंडित मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना की थी, तब उनके स्वप्न में केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि सेवा के माध्यम से समाजोत्थान का भाव भी निहित था। उसी स्वप्न का सजीव रूप है सर सुंदरलाल चिकित्सालय। यह अस्पताल केवल ईंट-पत्थरों की इमारत नहीं, बल्कि वह स्थान है जहां मरीजों के घाव पर मरहम, विद्यार्थियों के मन में ज्ञान का दीप और शोधकर्ताओं के हाथों में भविष्य की चिकित्सा का खाका तैयार होता है।
यहाँ प्रतिदिन हज़ारों मरीज न केवल इलाज के लिए आते हैं, बल्कि एक उम्मीद लेकर आते हैं—कि बीएचयू के चिकित्सक उनकी पीड़ा को समझेंगे, उनका सम्मान करेंगे और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों के साथ उन्हें बेहतर जीवन देंगे। यहाँ की बहुविशिष्ट (multispecialty) और अति-विशिष्ट (superspecialty) सेवाएँ, कैंसर चिकित्सा से लेकर कार्डियोलॉजी और न्यूरोसर्जरी तक, इसे उत्तर भारत के चुनिंदा संस्थानों में शामिल करती हैं।
लेकिन इस संस्थान की सबसे बड़ी विशेषता इसकी संवेदना है। जहाँ एक ओर छात्र उच्चतम स्तर की चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करते हैं, वहीं दूसरी ओर गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त दवाइयाँ, जांच और सर्जरी की सुविधाएं भी दी जाती हैं। यह सेवा और समर्पण का आदर्श उदाहरण है, जो आज के व्यावसायिक चिकित्सा युग में दुर्लभ होता जा रहा है।
बीएचयू का यह चिकित्सालय अपने शोध कार्यों के लिए भी विख्यात है। यहाँ से प्रकाशित चिकित्सा शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहे जाते हैं। यहीं से निकले कई चिकित्सक देश-विदेश में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। परंतु, इस उपलब्धि के बीच यह भी जरूरी है कि प्रशासन इस संस्थान की आधारभूत संरचना को समय के साथ अपडेट करता रहे—डॉक्टरों की संख्या बढ़े, उपकरणों का आधुनिकीकरण हो और मरीजों को प्रतीक्षा से मुक्ति मिले।
आज जब भारत ‘स्वस्थ भारत’ के संकल्प की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में सर सुंदरलाल चिकित्सालय जैसे संस्थान उस संकल्प के स्तंभ हैं। यह अस्पताल चिकित्सा का मंदिर है, जहाँ सेवा ही आराधना है, और हर मरीज एक देवता।
इस संस्थान को और मजबूती देना, उसका विस्तार करना और उसे राष्ट्रीय चिकित्सा नीति में एक मॉडल के रूप में स्थापित करना, न केवल बीएचयू के लिए, बल्कि भारत सरकार के लिए भी प्राथमिकता होनी चाहिए।
क्योंकि जहां चिकित्सा में संवेदना हो, वहाँ समाज स्वयं स्वस्थ होता है।
पं. विजेंद्र कुमार शर्मा ✍️
जीरा बस्ती, बलिया।
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