शिव महापुराण कथा वाचक श्री पं. प्रदीप मिश्रा जी : शिवभक्ति की अमृतगंगा का सनातन स्रोत


“एक लोटा जल – सारी समस्याओं का हल”

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं”

जब सनातन धर्म के दिव्य स्तंभों की बात होती है, तो उस अलौकिक परंपरा में कुछ ऐसे तपस्वी भी प्रकट होते हैं, जो ना केवल धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं, अपितु जन-जन को अध्यात्म से जोड़कर जीवन का वास्तविक मार्ग दिखाते हैं। ऐसे ही एक युगदृष्टा हैं — शिवमहापुराण कथा वाचक, परम पूज्य पं. श्री प्रदीप मिश्रा जी ‘सीहोर वाले’, जिनका जीवन और प्रवचन स्वयं में एक दिव्य ग्रंथ बन चुका है।

परिचय : एक साधक, एक संदेशवाहक

सीहोर, मध्य प्रदेश की पुण्यभूमि से उद्भूत श्री मिश्रा जी न केवल कथा के ज्ञाता हैं, बल्कि वे शिवभक्ति के ऐसे प्रचारक हैं जिन्होंने आम जनमानस में "शिव तत्व" को सरल, सरस और सुलभ बना दिया है। उन्होंने धार्मिक कथा को केवल मंच की बात नहीं रहने दी, बल्कि जनमानस की दिनचर्या, चिंतन और चेतना का हिस्सा बना दिया। वे कहते हैं :-

"एक लोटा जल ही सारी समस्याओं का हल है।"

यह केवल वाक्य नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है, एक अभियान है, एक विश्वास का बीज है जो शिवभक्ति की भूमि पर अंकुरित होकर, अब वटवृक्ष बन चुका है।

कुबरेश्वर धाम : सेवा, श्रद्धा और शिव का साक्षात संगम

श्री मिश्रा जी का सबसे दिव्य कार्य है "कुबरेश्वर धाम" का निर्माण। सीहोर में स्थित यह धाम न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह मानवता, सेवा, और साधना का आधुनिक तीर्थ बन चुका है।

यहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु सिर्फ दर्शन करने नहीं आते, वे यहां अहंकार छोड़ने, अपने कर्म सुधारने और शिव से जुड़ने आते हैं।

कुबरेश्वर धाम का निर्माण कार्य पं. मिश्रा जी की निष्काम सेवा भावना, दृढ़ संकल्प और भगवद्भक्ति का जीवंत उदाहरण है।

शिवमहापुराण : जन-जन में जाग्रत शिव तत्व

पं. मिश्रा जी द्वारा की जाने वाली शिव महापुराण कथाएं केवल पौराणिक आख्यान नहीं हैं, बल्कि वे एक जीवन की कला सिखाती हैं। उनके कथनों में इतना तेज, इतना सरल संवाद और इतनी सजीवता होती है कि सुनने वाला केवल श्रोता नहीं रहता, वह शिव का साधक बन जाता है। हर कथा में वे यही सिखाते हैं :-

"शिव को पाने के लिए आपको कोई बड़ी पूजा नहीं करनी, बस श्रद्धा और एक लोटा जल पर्याप्त है।"

'एक लोटा जल': आस्था से विज्ञान तक

श्री मिश्रा जी की यह शिक्षण कि "एक लोटा जल सारी समस्याओं का हल" न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि मानव मनोविज्ञान का भी सार है।

जब कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाता है, वह केवल जल नहीं चढ़ाता — वह अपने अहंकार, क्रोध, लोभ, वासना और भय को छोड़ता है।

वह जल में अपने दु:खों को समर्पित कर देता है और बदले में शांति, समाधान और सद्बुद्धि ग्रहण करता है।

मूल मंत्र : “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं”

पं. मिश्रा जी का प्रिय मंत्र है:

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं :- इस मंत्र में पूरी सृष्टि की शांति और स्वयं के शिवत्व की अनुभूति छिपी है।यह मंत्र केवल उच्चारण नहीं, बल्कि संपूर्ण समर्पण है — एक ऐसी पुकार जो शिव को भीतर से बाहर तक जाग्रत कर देती है।

शिव भक्ति का नवयुग : मिश्रा जी का प्रभाव

👉उन्होंने हजारों युवाओं को नशामुक्ति की ओर मोड़ा, केवल शिव कथा के माध्यम से।

👉कुबेरेश्वर जल सेवा अभियान के माध्यम से वृक्षारोपण, स्वच्छता, जलसंरक्षण जैसे कार्य भी शिवभक्ति का अंग बने।

👉आर्थिक रूप से विपन्न वर्ग को निःशुल्क भोजन, चिकित्सा, विवाह आदि के आयोजनों से जोड़कर उन्होंने धर्म को सेवा के पथ पर पुनः प्रतिष्ठित किया।

उपासना से उपकार की ओर : सनातन की सच्ची साधना

श्री प्रदीप मिश्रा जी का संदेश यही है कि शिव में केवल भक्ति नहीं, शक्ति है। वे कहते हैं :-

👉तुम शिव को एक लोटा जल अर्पित करो, शिव तुम्हें पूरा संसार लौटा देगा।

👉तुम श्रद्धा से बोलो — श्री शिवाय नमस्तुभ्यं — और देखो तुम्हारे जीवन की दिशाएं कैसे बदलती हैं।

समापन : शिव के अमृतपुत्र की अमर वाणी

श्री पं. प्रदीप मिश्रा जी आज केवल सीहोर नहीं, संपूर्ण भारतवर्ष की शिव चेतना के अग्रदूत हैं। वे वह दीप हैं जिन्होंने लाखों लोगों के भीतर शिव का प्रकाश जगाया।

उनकी वाणी में वेदों की गरिमा है, कथाओं में पौराणिक गहराई है, और कर्मों में सेवा की दिव्यता है। और अंततः, वे यही सिखाते हैं :-

👉शिव तक पहुंचने के लिए बस एक लोटा जल और सच्चे मन से निकला ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ ही पर्याप्त है।”

👉"शिव को जानो नहीं, मानो — क्योंकि जहाँ शिव हैं, वहाँ समाधान है।"

✍️ रिपोर्ट : परिवर्तन चक्र समाचार सेवा, बलिया।



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