मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस महीने की 10वीं तारीख को यौमे आशूरा कहा जाता है, जो मुसलमानों के लिए बहुत अहम माना जाता है। यह पर्व खासतौर पर हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे थे।
कर्बला के युद्ध में अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ते हुए इमाम हुसैन और उनके साथियों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। इसी दुखद घटना की याद में मोहर्रम में ताजिए निकाले जाते हैं और मातम किया जाता है। शिया मुसलमान इस दौरान नौहा और मर्सिया पढ़ते हैं तथा इमाम हुसैन की बहादुरी और बलिदान को याद करते हैं।
मोहर्रम हमें इंसानियत, सच्चाई और न्याय की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व शोक और श्रद्धांजलि का प्रतीक है।
मो0 अहमद हुसैन 'जमाल' ✍️
विशुनीपुर, बलिया (उ.प्र.)
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