पूरे भारत में गर्मी को सहना बहुत मुश्किल होता जा रहा है और बढ़ते तापमान के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में भी वृद्धि हो रही है. 2025 की शुरुआत में ही, फरवरी महीने में 1901 से लेकर इतिहास की अब तक की सबसे अधिक गर्मी होने का रिकॉर्ड बन गया है. गुजरात, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य चिलचिलाती गर्मी से जूझ रहे हैं, जहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है. यह अत्यधिक गर्मी न केवल रोजमर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर रही है, बल्कि हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, त्वचा पर चकत्ते, सांस की समस्याएं और अन्य कई गर्मी से जुड़ी बीमारियों जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा कर रही है. जलवायु परिवर्तन का यह बेरहम प्रभाव हमारी सेहत पर सीधा असर डाल रहा है-ऐसे में जागरुक रहना और तत्काल कदम उठाना बेहद ज़रूरी हो गया है.
वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के एक व्हाइट पेपर के अनुसार, अत्यधिक गर्मी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन चुकी है. अनुमानों के मुताबिक, 2030 तक अत्यधिक गर्मी हर साल लगभग 4,89,000 लोगों की जान ले सकती है और इसके कारण वैश्विक उत्पादकता में करीब 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, यह अनुमान है कि 2050 तक खतरनाक स्तर की गर्मी हर साल कम से कम एक महीने के लिए दुनिया की आधी आबादी को प्रभावित करेगी. यह स्थिति इस संकट से निपटने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दिखाती हैं.
हीटवेव से सुरक्षा में स्वास्थ्य बीमा की भूमिका :
गर्मी से जुड़ी बीमारियां तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जिससे हृदय, मस्तिष्क और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं. ऐसी एमरजेंसी की स्थितियों में हेल्थ इंश्योरेंस कवर जीवन रक्षक साबित हो सकता है, क्योंकि बीमा पॉलिसी आमतौर पर व्यापक कवरेज प्रदान करती हैं, जिसमें रोगी को एमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन, मेडिकल असिस्टेंस, डायग्नोस्टिक टेस्ट, दवाइयां और यहां तक कि हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद के खर्चों के लिए भी कवरेज मिलती है.
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रिवेंटिव हेल्थ केयर लाभ भी प्रदान करती हैं, जैसे वार्षिक स्वास्थ्य जांच, टेलीकंसल्टेशन और वेलनेस प्रोग्राम, जो लोगों को अपनी सेहत को पहले से ही सक्रिय रूप से प्रबंधित करने में मदद करते हैं. आउटपेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) कवरेज एक आवश्यक लाभ है, जिसे या तो एक बिल्ट-इन (अंतर्निहित) सुविधा के रूप में या ऐड-ऑन विकल्प के रूप में पेश किया जाता है. यह हॉस्पिटल में भर्ती होने के अलावा अन्य मेडिकल खर्चों को कवर करता है, जैसे डॉक्टर कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट (जैसे, ब्लड टेस्ट या एक्स-रे) और निर्धारित दवाएं. उदाहरण के लिए, अगर आपको गर्मी के कारण चक्कर आते हैं या आप डिहाइड्रेटेड महसूस करते हैं, तो आपकी पॉलिसी बिना किसी अतिरिक्त लागत के डॉक्टर से परामर्श की लागत को कवर कर सकती है.
गर्मी से संबंधित बीमारियों के लिए एमरज़ेंसी कवरेज :
अच्छे स्वास्थ्य के बावजूद, दुर्घटना और संक्रमण के कारण मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति पैदा हो सकती है. इंश्योरेंस पॉलिसी में आमतौर पर एमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन सर्विस जैसे एम्बुलेंस या एयर एम्बुलेंस को कवर किया जाता है, ताकि समय पर मेडिकल सुविधा का एक्सेस मिल सके. अत्यधिक गर्मी के कारण होने वाली स्थितियां-जैसे लू लगना, दस्त, एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस, हीट क्रैम्प, त्वचा पर चकत्ते और डिहाइड्रेशन - आमतौर पर एक मानक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में हॉस्पिटल में भर्ती होने पर कवर की जाती हैं.
गर्मी की वजह से त्वचा को गंभीर नुकसान होने की स्थिति में, डिब्राइडमेंट, एस्केरोटॉमी या स्किन ग्राफ्टिंग जैसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है. इसके अलावा, अत्यधिक पसीने या घमौरी से उत्पन्न स्किन इंफेक्शन आमतौर पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. इन पॉलिसी में अक्सर हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान नर्सिंग केयर, डॉक्टर कंसल्टेशन, दवाएं और भोजन की लागत जैसी संबंधित सेवाएं शामिल होती हैं.
इसके अलावा, कुछ मूल पॉलिसी के तहत आय की हानि के लिए मुआवज़ा एक ऐड-ऑन विकल्प के रूप में उपलब्ध होता है. यह बीमित व्यक्ति के हॉस्पिटल में भर्ती रहने और कार्य करने में असमर्थ रहने के प्रत्येक दिन के लिए एक निश्चित दैनिक भुगतान प्रदान करता है, जिससे उपचार के दौरान आर्थिक सहायता मिलती है.
जलवायु परिवर्तन और हेल्थ केयर के बढ़ते खर्च :
जलवायु परिवर्तन गर्मी की तीव्रता को और बढ़ा रहा है और नई और उभरती हुई स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा कर रहा है. कुछ रोगों में वृद्धि और गर्मी से जुड़ी स्थितियों का उभरना अब स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. एक अच्छी तरह से तैयार किया गया, कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस प्लान इन बढ़ते खतरों से निपटने के लिए आवश्यक नवीनतम मेडिकल ट्रीटमेंट, दवाइयों और तकनीकों तक पहुंच सुनिश्चित करती है.
हॉस्पिटल से छुट्टी के बाद की देखभाल-जैसे फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स, आवश्यक दवाइयां और स्थिति में सुधार की लगातार निगरानी-पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के लिए बेहद ज़रूरी होती है. अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और छुट्टी मिलने के बाद के खर्चों को 30 से 120 दिनों तक कवर करती हैं, यह चुने गए प्लान पर निर्भर करता है.
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन तीव्र हो रहा है, मानव स्वास्थ्य के लिए बढ़ते जोखिम स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. हीटवेव जैसी अत्यधिक गंभीर मौसम की स्थितियां हमारी खुशहाली के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं. हेल्थकेयर की लागत कुल महंगाई की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है, इसलिए अपनी जेब से इन खर्चों का बोझ उठाना बहुत कठिन हो सकता है, विशेष रूप से एमरजेंसी या लंबे समय तक इलाज के दौरान. इसलिए ऐसी परिस्थितियों में एक विश्वसनीय और कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस प्लान होना ज़रूरी है.
वित्तीय सुरक्षा के अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस गुणवत्तापूर्ण हेल्थ केयर का एक्सेस प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नियमित चेक-अप, स्क्रीनिंग और विशेषज्ञ से परामर्श, समस्याओं का जल्द पता लगाने और मैनेज करने में मदद कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से अधिक गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है. निवारक देखभाल से लेकर हॉस्पिटल से छुट्टी के बाद की सहायता तक, एक अच्छी पॉलिसी मेडिकल उपचार के हर चरण में आपको संपूर्ण कवरेज प्रदान करती है. क्योंकि हीटवेव की घटनाएं और तीव्रता बढ़ती जा रही हैं, इसलिए एक बेहतरीन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान अब केवल एक विकल्प नहीं रह गया है-बल्कि यह आपके स्वास्थ्य और खुशहाली को सुरक्षित रखने के लिए एक ज़रूरत बन गया है.
भास्कर नेरुरकर ✍️
हेड-हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम
बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस।
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