बलिया : परिवार नियोजन के स्थाई साधन अपनायें, जीवन में खुशियाँ लायें

 


जनपद में 1 मार्च 2022 से 15 जनवरी 2023 तक 14 पुरुष और 2404 महिलाओं ने अपनाई नसबंदी

बलिया, 24 जनवरी 2023। नसबंदी के नाम पर मुझे काफी डर लगता था। तरह-तरह की भ्रांतियां दिमाग में चलती रहती थी। लेकिन जब मैंने नसबंदी करा लिया तो पता चला कि यह बेहद आसान तरीका है। यह मामूली सी एक शल्य क्रिया है, और उसी दिन ऑपरेशन कराकर मैं घर भी आ गया। यह कहना है शहरी क्षेत्र निवासी 31 वर्षीय गोपाल (काल्पनिक नाम) का। वह कहते है कि जन्मदर को रोकने का नसबंदी एक का स्थाई, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय हैं। यौन क्षमता और यौन क्रिया पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

बैरिया निवासी सुरेश उम्र 34 वर्षीय सुरेश ( काल्पनिक नाम) बताते है कि जिस दिन मेरी नसबंदी होनी थी, तरह-तरह की भ्रांतियां और डर मेरे दिमाग में चल रहे थे। जब मैंने अपना नसबंदी करा लिया तो मुझे पता चला कि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की अपेक्षा बहुत ही आसान तरीका है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ० सुधीर कुमार तिवारी ने बताया कि 1 मार्च 2022 से 15 जनवरी 2023 तक जनपद में 14 पुरुष और 2404 महिलाओं ने नसबंदी कराकर परिवार नियोजन के स्थाई साधन अपनाये है। इसके अलावा दो बच्चों के बीच में सुरक्षित तीन साल का अंतर रखने के लिए महिलाओं ने अस्थाई साधन को भी अपनाया है। 3679 महिलाएं प्रसव पश्चात (पीपीआईयूसीडी) और 2645 महिलायें इंटरवल आईयूसीडी अपना चुकी हैं। 29870 महिलाओं ने सप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया ली है। इसके अलावा जनपद में कुल 3732 महिलाएं अंतरा तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन लगवायी है।

नोडल अधिकारी ने बताया की दो बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखना मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। किसी महिला को दोबारा मां बनने के लिए कम से कम तीन साल का समय चाहिए होता है। इस अंतराल में मां अपने पहले शिशु की भी अच्छी तरह देखभाल कर पाती है और महिला का शरीर भी दोबारा मां बनने के लिए तैयार हो जाता है। तीन साल से पहले दूसरा बच्चा होने की स्थिति में मां और शिशु के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। इसमें सामान्य सा चीरा लगता है है। इसमें व्यक्ति को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। यह, महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल भी होता है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई प्रकार का भ्रम फैला हुआ है। इस भ्रम से पुरुषों को बाहर आना होगा और एक छोटा परिवार एवं सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुषों को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि नसबंदी कराने वाले पुरुष लाभार्थी को ₹ 3000 प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। साथ ही नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने वाली आशा को 400 रुपये प्रति लाभार्थी दिया जाता है। फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक्स मैनेजर उपेंद्र चौहान ने बताया कि परिवार को सामाजिक एवं आर्थिक मजबूती बढ़ाने के लिए पुरुष आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं तथा परिवार नियोजन अपनाकर नसबंदी कराए।



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