अलग-अलग परंपराओं के अनुसार इस त्यौहार को मनाया जाता है। दिवाली को लेकर कुछ रिवाज ऐसे हैं जो क्षेत्रीय संस्कृति का पालन करते हुए निभाए जाते हैं, आइए ऐसे ही रिवाज और परंपराओं के बारे में जानते हैं।
दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दीपों के इस पर्व में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार इस त्यौहार को मनाया जाता है। दिवाली को लेकर कुछ रिवाज ऐसे हैं जो क्षेत्रीय संस्कृति का पालन करते हुए निभाए जाते हैं, आइए ऐसे ही रिवाज और परंपराओं के बारे में जानते हैं…
सूप बजाना : देश के कुछ राज्यों में दीपावली के शुभ दिन सूप बजाने की प्रथा है। ब्रह्ममुहूर्त में सूप बजाते हुए मां लक्ष्मी की प्रार्थना की जाती है। इस दौरान ‘अन्न धन लक्ष्मी घर आओ, अलक्ष्मी दरिद्रता बाहर जाओ।’बोला जाता है।
बिहार का अनोखा रिवाज : बिहार राज्य के कुछ क्षेत्रों में दिवाली के शुभ अवसर पर अरंजी की लकड़ियों का हुक्का बनाया जाता है। इस हुक्के को पूरे घर में घुमाकर बुझा देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा चली जाती है।
झाड़ू का दान : दिवाली के दिन नई झाड़ू दान देने की भी प्रभा लंबे समय से चली आ रही है। लोग अपने घर के लिए जब झाड़ू खरीदते हैं तो एक झाड़ू मंदिर में दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि झाड़ू लक्ष्मी का प्रतीक होता है।
उपहार देना : दिवाली उपहार देने का प्रचलन सबसे आम है। ये निम्म, मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों में देखा जाता है। लोग एक दूसरे को गिफ्ट देकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
दीप प्रज्जवलित करना : भगवान श्रीराम के अयोध्या नगरी आने की खुशी में उनका स्वागत दीए जलाकर किया गया था। तभी से दीए जलाने की प्रथा चली आ रही है।
रंगोली बनाना : रंगोली का संबंध घर की साज-सज्जा से है। घर के दरवाजे पर सुंदर रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। ताकि मां लक्ष्मी के प्रति सम्मान व्यक्त किया जा सके।
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सा0- नईदुनिया
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