छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं, यहां जानें इसके पीछे की वजह और इससे जुड़ी कुछ खास बातें...
आज से छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है. संतान प्राप्ति, आरोग्य और बच्चों के दीर्घायु की कामना के साथ यह व्रत किया जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश में चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का खास महत्व है. आज नहाय खाय के साथ छठ पर्व शुरू हो चुका है, जो कि 31 अक्टूबर तक चलेगा. छठ व्रत के दौरान अनेक परंपराएं निभाई जाती हैं, जिनमें से कुछ परंपराएं बेहद खास और महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.
छठ पूजा में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इसके अलावा इस दौरान डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इन सब के अलावा व्रती महिलाएं पूजा में नाक तक सिंदूर लगाती हैं, इसका भी खास महत्व होता है. चलिए जानते हैं छठ पूजा के दौरान नाक तक सिंदूर क्यों लगती है महिलाएं और क्या है इसका महत्व...
छठ पूजा में इसलिए लगाया जाता है नाक तक सिंदूर :
सनातन धर्म में सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं, लेकिन छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं. इस पूजा में मांग में नारंगी रंग का सिंदूर भरा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. साथ ही मांग में लंबा सिंदूर भरने से परिवार में सुख संपन्नता आती है और घर की खुशहाली बनी रहती है.
कहा जाता है कि इस दिन नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाने से व्रती महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति दिर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. छठ के दिन महिलाएं सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा करते हुए अपने पति और संतान के सुख, शांति व लंबी आयु की कामना करती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करती हैं.
ऐसे लगाएं सिंदूर :
छठ पूजा के दिन सुहागिन महिलाओं को सुबह स्नान करने के बाद मांग में नारंगी सिंदूर भरना चाहिए. मान्यता है कि यह सिंदूर माथे से लेकर जितना लंबा होगा, पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी. कहा जाता है बिना नहाए कभी भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए इसके अलावा हमेशा नाक की सीध में ही सिंदूर लगाएं और कभी भी गिरा हुआ सिंदूर ना लगाएं. छठ पूजा के अलावा भी कभी दूसरे का सिंदूर नहीं लगाना चाहिए.
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