नवरात्रि पर क्यों बोए जाते हैं जौ? जानिए


नवरात्रि पर माता दुर्गा की पूजा को पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। नवरात्रि पर घटस्थापना करने का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्र के प्रथम दिन ही घटस्थापना के साथ ही जौ बोए जाते हैं। कई लोगों का यह मानना है कि जौ के बिना माता दुर्गा की पूजा अधूरी रहती है इसलिए जौ को बोना जरूरी होता है। इस लेख में हम आपको नवरात्रि में जौ बोने के पीछे का कारण बताएंगे। 

ऐसा माना जाता है कि नवरात्र में जौ जितनी ज्यादा बढ़ती है उतनी ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आपको बता दें कि कलश स्थापना के साथ मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं। अगर मिट्टी का बर्तन नहीं है तो स्टील की थाली में भी जौ बोए जा सकते हैं। जौ बोने की परंपरा हिंदू धर्म में बहुत समय से चली आ रही है आपको बता दें कि प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा करने से पहले इसमें जल अर्पित किया जाता है।

धीरे-धीरे यह जौ बढ़ने लगते हैं और फिर कुछ दिनों में हरी फसल की तरह दिखाई देने लगते हैं। फिर नवरात्रि के समापन के बाद इन्हें या तो पौधे में लगा दिया जाता है या फिर किसी नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। जौ को बहुत विधि-विधान के साथ बोया जाता है। 

क्या है इसको बोने के पीछे का कारण?

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ को भगवान ब्रह्मा जी का एक रूप माना जाता है इसलिए ही घटस्थापना के समय नवरात्रि में जौ की पूजा सबसे पहले करी जाती है और उसे कलश में भी स्थापित किया जाता है। आपको बता दें कि हमारे देश में पहली फसल को जौ ही बताया गया है इसलिए हमेशा अन्न का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इन्हीं सब कारणों से जौ का इस्तेमाल पूजा में किया जाता है।

माता दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहें इसलिए जौ को बोना जरूरी माना जाता है। आपको बता दें कि नवरात्रि के समय मंदिरों में और पूजा पंडालों में भी जौ बोए जाते हैं। 



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