बलिया : नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के लिए जिलाधिकारी ने की बैठक


गंगा के घाटों को पर्यटन स्थल के रूप में करें विकसित : जिलाधिकारी

बलिया। जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के अंतर्गत ग्राम प्रधानों, सचिवों और संबंधित अधिकारियों की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में ली। बैठक का उद्देश्य गंगा के किनारे बसे ग्राम पंचायतों के संबंध में जानकारी हासिल करना था और ग्राम पंचायतों के माध्यम से गंगा को कैसे स्वच्छ किया जाए इस बात पर चर्चा करना था। 

मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा ने बताया कि इस तरह की 64 ग्राम पंचायतें हैं जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। उन्होंने बताया कि नमामि गंगा  की टीम जल्द ही इन क्षेत्रों का भ्रमण करेगी और इस बात की जानकारी हासिल करेगी कि किस प्रकार इन क्षेत्रों को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित किया जाए।

जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधानों से इस संबंध में चर्चा की। जिसके संबंध में ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए बताया कि उनके यहां गंगा के किनारे वाले स्थलों पर घाट निर्माण, शवदाहगृह का निर्माण और मछुआरों के जीवन यापन के लिए रोजगार के नए अवसर तलाशने की आवश्यकता है। क्योंकि मछुआरे वाले क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव है साथ ही वे केवल मछली पकड़ने के कार्य में ही लगे रहते हैं जिसके कारण उनकी आए बहुत कम है।

जिलाधिकारी ने सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों से अपने-अपने क्षेत्रों में गंगा के किनारे घाटों का निर्माण कराने मंदिरों का सुंदरीकरण करने और मछुआरों के जीवन यापन के लिए रोजगार के नए अवसर तलाशने के निर्देश दिए। क्योंकि घाटों का निर्माण हो जाने से यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा जिससे मछुआरों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

इसके साथ ही जिलाधिकारी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाए जाने पर भी चर्चा की ।एक्ससीईएन जल निगम ने बताया कि जनपद में गंगा की सहायक नदियां भी गंगा में प्रदूषण लाती हैं ।अतः इन नदियों में मिलने वाले नालों के पानी को भी स्वच्छ करना आवश्यक है जिससे कि गंगा में प्रदूषण कम से कम हो। जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधानों और सचिवों से कहा कि वह इस बात की जानकारी प्रशासन को दें कि उनके गांव से कितने नाले गंगा नदी में जाकर मिलते हैं ।वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि क्योंकि गंगा नदी का जलस्तर चढ़ता उतरता रहता है जिसके कारण पौधारोपण करने में दिक्कत आती है। फॉरेस्टेशन का कार्य तभी अच्छा हो पाएगा जब वन विभाग को गंगा के किनारे ऊंचा और उचित स्थान मिलेगा। तहसीलदार सदर ने बताया कि यदि उजियार घाट का निर्माण कर दिया जाए तो अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। तहसीलदार बैरिया ने बताया कि हल्दी से रामगढ़ के बीच शवदहनगृह का निर्माण किया जाए। ईओ नगरपालिका ने बताया कि कटहल नाले का पानी गंगा में जाता है। अतः इसके लिए स्टेपी  बनाना आवश्यक है। गंगा के किनारे साफ सफाई के लिए अतिरिक्त कर्मचारी और मशीनों की आवश्यकता होने की बात उन्होंने कही। पीडी डीआरडीए ने बताया कि ग्राम पंचायतों में पर्यटन स्थल के रूप में डेवलपमेंट करने के लिए नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। क्योंकि घाटों पर  महिलाएं स्नान करने के लिए आती है अतः उनके कपड़ा बदलने के लिए अलग कमरे बनाया जाए।

जिलाधिकारी ने इन सब बातों को संज्ञान में लेते हुए कहा कि इसके साथ ही गंगा नदी में डॉल्फिन भी पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में सुस कहा जाता है जो पर्यटन का एक प्रमुख साधन बन सकती है। अतः सभी ग्राम प्रधान अपने-अपने क्षेत्रों में घाटों का निर्माण जल्द से जल्द करवाएं जिसके लिए सरकार की तरफ से धन आवंटित किया जाएगा।






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