गाय ने केला देखकर मुँह मोड़ लिया..औरत ने गाय के सामने जाकर फिर उसके मुँह में केला देना चाहा,
लेकिन ... गाय ने केला नहीं खाया, पर औरत केला खिलाने के लिये पीछे ही पड़ी थी...जब औरत नहीं मानी, तो गाय सींग मारने को हुई..औरत डरकर बिना केला खिलाये चली गयी.
औरत के जाने के बाद पास खडा साँड बोला-"वह इतने 'प्यार से' केला खिला रही थी, तूने केला भी नहीं खाया और उसे डराकर भगा भी दिया.."
प्यार नहीं मजबूरी...आज एकादशी है, औरत मुझे केला खिलाकर पुण्य कमाना चाहती है...वैसे यह मुझे कभी नहीं पूछती, गल्ती से उसके मकान के आगे चली जाती हूँ तो डंडा लेकर मारने को दौड़ती है...
गाय बोली-"प्रेम से सूखी रोटी भी मिल जाये, तो अमृत तुल्य है!"
जो केवल अपना भला चाहता है वह दुर्योधन है
जो अपनों का भला चाहता है वह युधिष्ठिर है
और .. जो सबका भला चाहता है वह श्रीकृष्ण है
अत: कर्म के साथ-साथ ...भावनाएँ भी महत्व रखती हैं
*ओम शान्ति !*
पंडित संतोष दूबे
गोपालपुर, सहोदरा, बलिया (उ.प्र.)
मो0-7905916135
addComments
Post a Comment