चाणक्य नीति : इस हालात में ज्ञान भी हो सकता है घातक, नहीं किया ये काम तो होगा नुकसान


चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि किस परिस्थिति में ज्ञान इंसान के लिए विष के समान हो जाता है. अगर उसकी सही उपयोग नहीं किया तो ये खतरनाक साबित हो सकता है.

ज्ञान से व्यक्ति सामर्थ्यवान बनता है. ज्ञान के बलबूते व्यक्ति विभिन्न कठियानों को पार कर लेता है. जितना ज्यादा ज्ञान होगा व्यक्ति उतना ही अधिक बुद्धि से शक्तिशाली और संपन्न होगा, लेकिन चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि किस परिस्थिति में ज्ञान इंसान के लिए विष के समान हो जाता है. अगर उसकी सही उपयोग नहीं किया तो ये खतरनाक साबित हो सकता है.

दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।। 

प्रैक्टिस के बिना ज्ञान घातक : चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति जो ज्ञान अर्जित करता है अगर उसका अभ्यास न करें तो वो बेकार हो जाताहै. चाणक्य के मुताबिक अधूरा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है, इसलिए प्रैक्टिस कर उसे पूर्ण रूप से ग्रहण करना चाहिए. उदाहरण के तौर पर अगर डॉक्टर अधूरे ज्ञान के आधार पर मरीजों का इलाज करे तो कितना नुकसानदायक हो सकता है. विद्या का अर्जन करने के बाद उसकी प्रैक्टिस जरूर करें तभी सफलता मिलेगी

भोजन कब है जहर के समान : चाणक्य के अनुसार अपच की स्थिति में व्यक्ति को हल्का भोजन या फिर खाना नहीं ग्रहण करना चाहिए. इससे पेट से संबंधित समस्या और बढ़ सकती है. इस अवस्था में भोजन जहर के समान बताया गया है. जो व्यक्ति को तकलीफ पहुंचाता है.

गरीब व्यक्ति के लिए समारोह : आचार्य चाणक्य ने बताया है कि एक स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह, शादी, उत्सव सब बेकार होते हैं, क्योंकि ऐसी जगह उसकी आर्थिक परिस्थिति का मखौल उड़ाया जाता है. जिसे वो सहन नहीं कर पाता, और ऐसे मजाक उसके लिए जहर के समान हो जाते हैं.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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