*मैं लिखुंगी*



मेरा मन करेगा तो प्रेम पर लिखुंगी 

मन किया तो संविधान पर कटाक्ष लिखुंगी 

लिखुंगी मैं महिलाओं के सशक्तीकरण पर 

लेकिन महिलाओं के साथ हुआ हर अन्याय और अत्याचार भी लिखुगीं 


तुम बताओंगे सिर्फ विदेशीयों को दुराचारी और अत्याचारी 

पर मैं हिंदुओ द्वारा हिन्दूओं पर किया गया हर अत्याचार अछूतपन भी कहूँगी 


औरत होती है पूज्यनीय कहने वालों के घर में ही 

दलित औरतों संग हुआ है शोषण...यह भी कहूँगी 


तुम कृष्ण और राम को प्रेमका प्रतिक बना कर पुजोगे मंदिरो मे ...अहंकार का दम भरोगे 

पर मैं तो लोगों द्वारा किये गये ऑनर किलिंग का आँकड़ा भी लिखुंगी 


तुम चाहोगे मैं माँ सीता, और लक्ष्मीबाई की सिर्फ महान गाथा लिखूँ 

पर मैं तो तुम्हरे गाँव, शहर, मोहल्ले में 

हिंसा का शिकार हुईं महिलाओं का भी सच भी लिखुंगी 


तुम मुझ पर अपने-अपने दिखावटी संस्कारों के शब्द बाण से कोशिश जारी रखना 


पर मैं तुम्हरे दोहरेपन का सच ही लिखुंगी 

लिखुंगी तो वही जो लगेगा अन्तर्मन को सही 


रंजना यादव ✍️

बलिया, उत्तर प्रदेश। 




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