पूर्वोत्तर रेलवे राजभाषा सप्ताह समारोह-2022 के अन्तर्गत आज कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन


गोरखपुर, 28 सितम्बर, 2022:  पूर्वोत्तर रेलवे राजभाषा के तत्त्वावधान में 19 से 28 सितम्बर, 2022 तक मनाये जा रहे राजभाषा सप्ताह समारोह-2022 के अन्तर्गत 28 सितम्बर, 2022 को रेलवे आडिटोरियम, गोरखपुर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ महाप्रबन्धक, पूर्वोत्तर रेलवे श्री अशोक कुमार मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। 


इस अवसर पर महाप्रबन्धक श्री अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि राजभाषा के हिन्दी प्रचार-प्रसार में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हम रेल के प्रत्येक कार्य क्षेत्र में राजभाषा हिन्दी के प्रयोग प्रसार के लिये निरन्तर सजग है, जिसकी आज का यह कवि सम्मेलन महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि पूर्वान्चल की पावन धरा प्राचीन काल से महान साहित्यकार की कर्म भूमि उनकी अमूल्य कृतियों की धरोहर रही है। कलम के धनी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन किये है। तुलसीदास, कबीरदास, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ जैसे साहित्यकारों ने अपनी कृतियों के माध्यम से न केवल हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया अपितु समाज का पथ प्रदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि कवि की दृष्टि बहुत सूक्ष्म होती है और कवि तथा उनकी कविताओं का अपने समय के सभी सरोकारों से गहरा रिश्ता होता है। मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं उनकी टीम इस काव्य संध्या के आयोजन के लिये बधाई के पात्र हैं। आज उपस्थित रचनाकार एवं कवि अपनी कविता रूपी संजीवनी से हमारे रेल कर्मियों के अन्दर एक नई ऊर्जा का संचार करेंगे। 


अतिथियों एवं कवियों का स्वागत करते हुए प्रमुख मुख्य चिकित्सा निदेशक डॉ. बी.एन. चौधरी ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से मनोरंजन के साथ ही उत्साहवर्धन भी होता है। 

कवि सम्मेलन के आरम्भ में कुशीनगर से पधारे हास्य व्यंग कलाकार श्री बादशाह प्रेमी ने अपनी रचना से श्रोताओं को हँसते-हँसते लोट-पोट कर दिया- 

छुपाने से ज्यादा दिखाने की इच्छा, गलत होई जमाने की इच्छा। 

जहाँ डूब करके मरे है हजारों, वहीं हो रही नहाने की इच्छा।। 

वाराणसी से आये वीर रस के प्रख्यात कवि श्री चन्द्रभूषण पति त्रिपाठी ’’भूषण त्यागी’’ की रचना-

अंग्रजों की हर मनमानी याद करो। भगत सिंह की अमर कहानी याद करो।।

हँसते-हँसते जिसने खुद को मिटा दिया। खुदीराम की चढ़ी ज़वानी याद करो।।

ने दर्शकों को देश भक्ति से ओतप्रोत कर दिया।

गोरखपुर के काव्य जगत के सशक्त गीतकार श्री राजेश राज ने अमर शहीद भगत सिंह की जयन्ती के सन्दर्भ में उनको इन पंक्तियों से नमन किया-

भारत माँ के आँचल से, हमने यूँ रिश्ता जोड़ लिया।

जिये तिरंगा ऊँचा रखा, मरे तिरंगा ओढ़ लिया।।

गोरखपुर की श्रंृगार रस की कवयित्री डॉ. चारूशीला सिंह ने अपनी रचना-

मानव मूल्यों के संरक्षक संवाहक श्री राम।

हर विवाद मिट जाये वो संवाद मेरे श्री राम।।

ने श्रोताओं को भक्ति रस में डूबो दिया।

गोरखपुर की ही कवयित्री डॉ. सत्यंवदा शर्मा ’’सत्यम’’ ने अपनी रचना-

लिखता है कोई नेह पटल पर, चुपके-चुपके नाम।

मुझको मीरा प्रेम योगिनी, अपने को घनश्याम।। 

की मनमोहक प्रस्तुति की।

गोरखपुर की ही श्रृंगार रस की कवयित्री श्रीमती निशा राय की प्रस्तुति 

मधुर, मुलायम, रेशम-रेशम मखमल, मलमल जैसी है।

जन-जन के होंठों पर रहती, यह अमृत जल जैसी है।।

मैं हिन्दी संग हँसती-रोती, सखी सहेली ये मेरी।

सहज, सरल है, स्नेहमयी है, माँ के आँचल जैसी है।। 

ने भाव-विभोर कर दिया। 

कवियों एवं कवयित्रियों की उपरोक्त प्रस्तुति को रेल कर्मियों एवं अन्य दर्शकों की काफी वाहवाही मिली।

धन्यवाद ज्ञापन राजभाषा अधिकारी मो. अरशद मिर्ज़ा, संचालन वरिष्ठ अनुवादक श्रीमती अनामिका सिंह ने तथा संचालन गीतकार श्री राजेश राज ने किया। 

(पंकज कुमार सिंह)

 मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी

 सम्पादक/ब्यूरो प्रमुख, गोरखपुर।






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