पोषण माह पर विशेष : छ्ह माह तक केवल स्तनपान, पायें स्वस्थ शिशु का वरदान : डॉ0 सिद्धार्थ मणि दुबे

 


-माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध अमृत समान 

-शुरू के हजार दिन जच्चा-बच्चा के पोषण का रखें खास ख्याल 

बलिया, 14 सितंबर 2022। जच्चा-बच्चा के समुचित शारीरिक विकास के लिए गर्भकाल (270 दिन) से लेकर जन्म के पहले दो साल (730 दिन) यानि कुल मिलाकर 1000 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में माता एवं शिशु के पोषण पर खास ध्यान देना चाहिए। जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध ‘कोलेस्ट्रम’ शिशु के लिए अमृत के समान होता है। वहीं छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए यहां तक कि पानी भी नहीं पिलाना चाहिए। पोषण माह के दौरान यह जानकारी जिला महिला चिकित्सालय के प्रसवोत्तर केन्द्र में कार्यरत नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 सिद्धार्थ मणि दुबे ने दी।

डॉ0 दुबे ने बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के अनुसार बलिया में एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर आठ फीसदी है जबकि छह माह तक के शिशु के स्तनपान की दर 70 फीसदी है। छह माह के बाद शिशु को स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार देना चाहिए। मां को भी पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए। 

गर्भकाल का स्वस्थ एवं बेहतर पोषण जैसे भुना चना एवं गुड़, प्रोटीन, आयरन, विटामिन, कैल्शियम एवं पोटेशियम से भरपूर आहार राजमा, काला चना, मलका मसूर दाल, चना दाल तथा अन्य मोटे अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां व साग, दूध व दूध से बने पदार्थ एवं पीले व नारंगी गूदे वाली फल व सब्जियां आदि उसके और गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है। जिले में संचालित पोषण माह में मातृ-शिशु स्वास्थ्य के प्रति लोगों को खास तौर पर जागरूक किया जा रहा है।

 गर्भावस्था में मां का संपूर्ण आहार :-

शिशु की लंबाई और हृष्ट-पुष्ट शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। गर्भ के दौरान और जन्म के बाद पोषण नहीं मिलने पर बच्चे के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के भोजन में आयरन एवं फ़ोलिक एसिड की उचित मात्रा होना जरूरी है। गर्भवती के आहार सेवन में विभिन्नता होनी चाहिए। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है।

 ऐसा हो शिशु का पोषण :-

डॉ दुबे ने बताया छह से आठ माह के शिशु को स्तनपान के साथ आधी कटोरी में दो बार अर्ध ठोस आहार जैसे गाढ़ी दाल, दलिया, हलवा, दाल-चावल, खिचड़ी आदि एवं दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। नौ से 11 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ दो-तिहाई कटोरी तीन बार अर्ध ठोस आहार एवं दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों को स्तनपान के साथ एक कटोरी तीन बार अर्ध ठोस भोजन एवं तीन बार पौष्टिक नाश्ता भी देना चाहिए। साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरूरी है। इससे बच्चों को आहार से जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।



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