बलिया। आजादी के अमृत-महोत्सव के बीच समय निकालकर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० कल्पलता पांडेय जी ने नारदीय व चइता गायन के पितामह कहे जाने वाले ख्यातिलब्ध कलाकार वीरेंद्र सिंह 'धुरान' जी के पैतृक निवास ग्राम बसंतपुर पहुँच कर 'धुरान' जी के पौत्र व वीरेंद्र सिंह 'धुरान' लोक सांस्कृतिक सेवा संस्थान के सचिव अनुज सिंह से भेंट कर नारदीय व चइता गायन विधा के बारे में जानकारी हासिल किया। भोजपुरी गायकों व भोजपुरी भाषा के बोलने-चालने वालों की बहुप्रतीक्षित इस मांग पर चर्चा करते हुए कुलपति महोदया ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में इस बात पर जोर दिया गया है की ज्ञान, परम्परा व संस्कृति में स्थानीयता के महत्व को स्थान दिया जाए। स्थानीय स्तर पर बहुत सी ऐसी विधाएं, ज्ञान व परम्परा उपेक्षित रह गयी हैं जिन पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है और धीरे-धीरे ये चीजें विलुप्त होती जा रहीं हैं।
कुलपति महोदया ने कहा कि 'धुरान' जी जैसे लोक गायकों ने निःस्वार्थ अपनी परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य किया लेकिन समाज व सरकार का ध्यान उनकी ओर नही गया। आज जरूरत है कि हम उनकी परम्परा को सहेजकर आगे बढ़ायें। इसके लिए जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ने पहल की शुरुवात की है। कहा कि मैं चाहती हूँ कि नारदीय व चइता गायन पर हमारे विश्वविद्यालय में शोध व अध्ययन हो। इसके लिए उन्होंने इस विधा के गायकों का आह्वाहन किया कि एक प्रस्तुति विश्वविद्यालय में कराई जाए। इसके लिए उन्होंने संस्थान के सचिव अनुज सिंह से सहयोग व समनवय करने को कहा। सचिव अनुज सिंह ने कुलपति जी को आश्वासन दिया कि शीघ्र ही नारदीय व चइता गायन के श्रेष्ठ कलाकारों की एक टीम से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में एक प्रस्तुति कराई जाएगी।
इस अवसर पर डॉ० अरविंद नेत्र पांडेय, डॉ० अजय कुमार, ग्राम प्रधान विजय प्रताप सिंह, विनायक शरण सिंह, लेखक बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह सहित दर्जनों लोग उपस्थित थें।
अनुज कुमार सिंह
सचिव
वीरेंद्र सिंह 'धुरान' लोक सांस्कृतिक सेवा संस्थान
बलिया (उ०प्र०)
मो०- 8527007891
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