चाणक्य नीति : घर लेते वक्त आचार्य चाणक्य की चार सलाह का रखें ध्‍यान, खत्‍म हो जाएंगी सभी परेशानी


मानव जीवन के मुख्‍य जरूरतों में मकान एक ऐसी जरूरत है, जिसे पूरा करने में पूरा जीवन लग जाता है। इसलिए घर बनवाते या लेते समय लोग बहुत सजगह होते हैं। आचार्य चाणक्‍य ने नीति शास्‍त्र में घर लेते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखने की सलाह दी है।

बेहतर पारिवारिक जीवन के लिए एक अच्छे घर का होना जरूरी होता है। इस सपने को पूरा करने के लिए लोग अपना जीवन लगा देते हैं। इसलिए घर बनवाते समय लोग बहुत सजग होते हैं और काफी जांच पड़ताल के बाद भी घर खरीदते या बनवाते हैं। घर को मानव जीवन की मूल जरूर मानते हुए वर्षों पहले आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में कई ऐसी बातें बताई हैं, जो घर बनवाने जा रहे लोगों का मार्गदर्शन कर सके। नीति शास्‍त्र में चाणक्‍य ने ऐसेी जगहों का जिक्र किया है, जहां पर लोगों को घर बनवाना चाहिए।

पड़ोसी होने चाहिए धनवान : आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि घर बनवाते समय पड़ोसी पर जरूर ध्यान दें। ऐसी जगहों पर घर बनवाए या लें जहां पर खुद के आगे बढ़ने और फलने-फूलने की संभावना हो। अगर पड़ोसी धनी होगा तो किसी संकट में फंसने पर आपके धन की जरूरत को पूरी कर सकेगा। ऐसी जगह घर न लें जहां आपसे भी कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोग हों।

पढ़े-लिखे के पड़ोस में बसें : चाणक्‍य नीति के अनुसार व्‍यक्ति को हमेशा ऐसी जगह बसना चाहिए, जहां पर विद्वान और पढ़े-लिखे लोग रहते हों। इससे व्‍यक्ति को कई तरह के फायदे मिलते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह हागा कि पड़ोसी यदि विद्वान होगा तो जरूरत मिलने पर वह हमेशा आपको सही सलाह देगा। साथ ही आपके घर का माहौल हमेशा ज्ञान से भरा रहेगा और परिवार में अच्छे संस्कार और ज्ञानार्जन की लालसा रहेगी।

जहां का प्रशासन चुस्त हो : आचार्य चाण्‍क्‍य के अनुसार ऐसी जगह घर लेना चाहिए, जहां पर शासन-प्रशासन चुस्त हो और कानून का राज हो। इससे आप चोरी, लूट जैसे कई तरह के खतरे से बच सकेंगे। साथ ही किसी भी परेशानी में आपको तुरंत मदद भी मिल सकेगी।

चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था बेहतर हो : आचार्य चाणक्‍य का मानना है कि घर लेते या बनवाते समय व्‍यक्ति को पानी, चिकित्सा, शिक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों का ध्‍यान रखना चाहिए। अगर ये चीजें होंगी, तभी परिवार की जरूरतें पूरी हो सकेंगी और सही विकास होगा। व्‍यक्ति को जीवन में इन चीजों की सख्‍त जरूरत पड़ती है, इसके बगैर जीवन संभव नहीं है।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है।



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