शिवपुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की महिमा का विस्तार से वर्णन है। मान्यता है कि दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
भारत में कई रहस्यमय और चमत्कारी मंदिर हैं। इनके राज जानकर लोग हैरान हैं। ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है। जहां भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम करते हैं और चौसर खेलते हैं। यह खंडवा का ओंकारेश्वर मंदिर है। महादेव का यह मंदिर चौथा ज्योतिर्लिंग है। नर्मदा नदी के बीच ओंकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदू आस्था का केंद्र है।
ओंकार पर्वत पर स्थित : भगवान शिवजी का यह चमत्कारी मंदिर मध्यप्रदेश के निमाड़ में स्थित है। यह खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मध्य ओंकार पर्वत पर है। माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान ब्रह्मा के मुख से ओम शब्द की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए हर वेद और शास्त्र का पाठ ओम शब्द के साथ किया जाता है। स्कंद पुराण, शिव पुराण और वायु पुराण में ओंकारेश्वर की महिमा का वर्णन है। यहां के शिवलिंग की आकृति ओम के आकार की है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है।
भगवान खेलते हैं चौसर : मान्यता है कि यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है। जहां भोलेनाथ रात्रि में विश्राम करने आते हैं। यहां माता पार्वती भी विराजमान हैं। भगवान शिव और देवी पार्वती सोने से पहले चौसर खेलते हैं। यहां शयन आरती भी की जाती है। रोजाना ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर को सजाया जाता है।
गुप्त आरती की जाती है : रात को आरती के बाद कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता। हर रात्रि शयन आरती के बाद महादेव के सामने चौसर और पासा रखा जाता है। सुबह जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो पासा उल्टा पड़ा हुआ मिलता है। वहीं ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की एक गुप्त आरती की जाती है। जहां पुजारी के अलावा कोई भी गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकता है। पुजारी भगवान शंकर की विशेष पूजा और अभिषेक करते हैं।
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साभार- नईदुनिया
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