माला जपते समय इन बातों का भी रखें ध्यान तभी पूरी हो सकेगी मनोकामना


प्रार्थना करने के कई तरीके होते हैं, जिसमें से एक माला जपना है. यह तरीका बहुत प्राचीन है. माला जप कर लोगों का मन तुरंत एकाग्र हो जाता है. शास्त्रों में माला जपने के कई नियम है. जिन्‍हें आपको भी जानना चाहिए.  

प्राचीन काल से ही जप करना उपासना पद्धति का एक अभिन्न हिस्‍सा रहा है. जप का अर्थ रिपीटेशन होता है. जप करने के लिए माला की जरूरत होती है. माला जप की काउंटिंग में काम आती है लेकिन साथ में इसमें एक अनोखी दिव्यता है. जप करते समय किन सावधानियों को बरतना होगा. माला कई प्रकार की होती है. आप जप करने के लिए कैसी माला को चुने? 

किस माला को चुने ? : माला कई प्रकार की होती है. रुद्राक्ष, तुलसी, वैजयंती, स्फटिक, मोतियों या रत्नों की बनी होती है. इनमें से रुद्राक्ष की माला को जप करनेके लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. क्योंकि इसका सीधा संबंध रूद्र यानी भगवान शिव से है. माला के मनकों की संख्या कम से कम 27 या 108 होनी चाहिए, हर मनके के बाद एक गांठ जरूर लगी होनी चाहिए. 

माला जाप में संख्या का कितना महत्व ? : माला में कई मनके होते है. इसका प्रयोग इसलिए किया जाता है, ताकि जाप की संख्या गिनी जा सके और जाप में त्रुटि न हो. माला में 108 मनके होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं. इनका गुणनफल 108 आता है जो पवित्र संख्या मानी जाती है. 108 संख्या के महत्व को दूसरी तरह से भी देखिए कि ब्रह्मांड को 12 भागों में बांटा गया है. इस तरह 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है, यानी 108 संख्या बहुत ही गूढ़ और दिव्य है. 

सुमेरू को लांघना नहीं चाहिए : माला के ऊपरी भाग में एक फूल जैसी आकृति होती है जिसे 'सुमेरु' कहते हैं. इसका विशेष महत्व होता है. माला की गिनती सुमेरु से शुरू करना होती हैं और दोबारा सुमेरु आने पर रुकना चाहिए यानी 108 का चक्र पूर्ण हो. सुमेरु को माथे से लगाएं, यह ब्रह्म स्वरूप होता है. ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड में सुमेरु की स्थिति सर्वोच्च होती है. माला जपते समय सुमेरु को लांघे नहीं माला को घुमा दें. एक बार माला पूर्ण होने पर अपने ईष्टदेव को याद करें.

ये सावधानियां जरूर बरतें : जब भी माला करें तो माला को कपड़े से ढककर करना चाहिए ताकि फिरती हुई माला को कोई देख न सके. इसके अलावा गोमुखी का भी प्रयोग कर सकते हैं. मंत्र जप न तो बहुत जल्दी और न ही बहुत धीरे करना चाहिए. जप करते समय मुख को पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए. जप करते समय हमेशा आसन पर बैठना चाहिए, जमीन का स्पर्श सीधे नहीं होना चाहिए. मंत्र जपने से पहले हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए ताकि किया गया मंत्र जाप सफल हो. माला हमेशा खुद की होनी चाहिए. दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए. जिस माला से मंत्र जाप करते हैं, उसे धारण नहीं करना चाहिए. जपते समय भगवान के नाम, रूप, लीला एवं धाम चारों में से किसी एक का चिंतन करना चाहिए.

मनके कैसे सरकाते है : माला करते समय अंगूठा और अनामिका को जोड़ लेना चाहिए इसके बाद मध्यमा से मनकों को सरकाना चाहिए और तर्जनी ऊपर की ओर रहनी चाहिए. इनका पालन करने से मंत्र जाप का लाभ मिलता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 





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