चाणक्य नीति : इन 4 जगहों पर खुलकर खर्च करें पैसा, हमेशा भरी रहेगी झोली


आचार्य चाणक्‍य ने अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना किया, लेकिन वे हर मुश्किल वक्‍त को अपनी बौद्धिक शक्ति से पार कर गए। चाणक्‍य ने अपने विचारों व अनुभवों को नीति शास्‍त्र में समाहित किया है। इसमें बताए गए उपायों को अपना कर कोई भी व्‍यक्ति सफलता हासिल कर सकता है।

आचार्य चाणक्‍य ने अपनी बौद्धिक शक्ति से पूरे नंदवंश का नाश कर एक साधारण से बालक को राजगद्दी पर बैठा मौर्य वंश की संस्थापना की थी। आचार्य ने अपने विचारों व अनुभवों को नीति शास्‍त्र में समाहित किया है। साथ ही इसमें अपने जीवन में आने वाली कई परेशानियों का उल्‍लेख करते हुए उससे उबरने के उपाय भी बताएं हैं। चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई ऐसी बातों का भी उल्लेख किया है जिन्हें अपनाकर कोई भी सफलता की सीढ़ी चढ़ सकता है। चाणक्‍य कहते हैं कि मनुष्‍य के लिए धन सबसे ज्‍यादा कीमती होती है, इसलिए धन को हमेशा संभल कर खर्च करना चाहिए। हालांकि कुछ ऐसी जगह होती हैं, जहां पर धन खर्च करने से खत्‍म नहीं होता बल्कि इससे लक्ष्‍मी जी प्रसन्‍न होती हैं और धन-वैभव का विकास होता है।

बीमारी में मदद : आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लोगों को जहां तक संभव हो सके बीमार व्‍यक्ति की हमेशा मदद करनी चाहिए। इससे एक इंसान को नया जीवन मिल सकता है। किसी का जीवन बचाना सबसे बड़ा परोकार का कार्य है। इससे मिलने वाला पुण्‍य सफलता व तरक्‍की के नए रास्‍ते खोलता है। ऐसे लोगों से ईश्वर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

गरीबों की मदद : चाणक्य नीति कहती है कि गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना बहुत बड़ा पुण्‍य का कार्य होता है। इस कार्य में किया गया धन खर्च गरीब और जरूरतमंदों की दुआओं के साथ खुब फल देता है। इस नेक काम से जहां समाज में मान सम्‍मान मिलता है, वहीं परलोक में भी इसका फल मिलता है। जरूरतमंदों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

सामाजिक कार्यों में दान : आचार्य चाणक्य के अनुसार सभी को अपनी आय का कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों में खर्च करना चाहिए। सभी को अस्पताल, स्कूल, धर्मशाला जैसे भवनों के निर्माण व अन्‍य सामाजिक कार्य में अपनी क्षमता के अनुसार अवश्‍य दान करना चाहिए। इससे ना सिर्फ समाज में प्रतिष्‍ठा बढ़ती है, इससे जिन लोगों को लाभ मिलता है, उसकी भी दुआएं मिलती है।

धार्मिक स्थलों को दान : आचार्य चाणक्य ने धार्मिक कार्यों के लिए दान करने को भी बड़ा पुण्‍य का कार्य माना है। आचार्य कहते हैं कि लोगों को मंदिर या किसी अन्‍य पवित्र स्थल को दान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। इस दान से पुण्य मिलने के साथ जीवन में भी सकारात्मकता आती है।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। 



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