जेठ यानि ज्येष्ठ मास आरंभ हो चुका है. ज्येष्ठ मास में पड़नी वाली एकादशी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. भीमसेनी एकादशी कब है आइए जानते हैं.
शास्त्रों में एकादशी का व्रत सभी सभी व्रतों में श्रेष्ठ और उत्तम फल प्रदान करने वाला बताया गया है. एकादशी व्रत का वर्णन महाभारत की कथा में भी मिलता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के बारे में बताया था. इस एकादशी का संबंध भीमसेन से भी है. इसी कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. भीमसेनी एकादशी कब है? आइए जानते हैं-
इस एकादशी की कथा भीमसेन से भी जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार महाभारत काल के समय एक बार भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा कि बिना एकादशी व्रत रखे, एकादशी व्रत का पुण्य कैसे प्राप्त किया जा सकता है? महर्षि वेद व्यास ने भीम का तब निर्जला एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. व्यास जी ने इस व्रत की विधि भीम को बताई और कहा कि इस व्रत के दौरान अन्न और जल का पूरी तरह से त्याग किया जाता है. इसके साथ ही एकादशी का व्रत पारण द्वादशी की तिथि में नियम पूवर्क करना चाहिए. ऐसा करने से सभी एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है. व्यास जी के कहने पर भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत विधि पूर्व पूर्ण किया और सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो गए.
भीमसेनी एकादशी/ निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त :
-निर्जला एकादशी 2022 तिथि और व्रत आरंभ- 10 जून सुबह 07:25 मिनट से शुरू.
-एकादशी तिथि समापन- 11 जून, शाम 05:45 मिनट समापन होगा.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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