-हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के लिए आदर्श हैं युवा तुर्क चंद्रशेखर
-95वीं जयंती पर सभी विशिष्ट जनों ने उनके चित्र पर चढ़ाया पुष्प
-सेंड आर्टिस्ट रुपेश सिंह ने बनाई उनकी रोचक चित्र की रोचक प्रदर्शनी
-वक्ताओं ने उनकी स्मृतियों का स्मरण कर अर्पित की श्रद्धांजलि
बलिया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 95वीं जयंती रविवार को पूरे देश में आयोजित की गई। इसी क्रम में चंद्रशेखर नगर झोपड़ी पर जयंती विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। सेंड आर्टिस्ट रुपेश सिंह ने जयंती पर चित्र बनाया। सभी ने उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने कहा कि आज हम ऐसे व्यक्तित्व को नमन करने इकट्ठा हुए हैं जिन्हें पूरी दुनिया जानती है। जहां सभी बातें शून्य हो जाती हैं वहां से चंद्रशेखर जी सोचना शुरू करते थे। राष्ट्रनायक चन्द्रशेखर मैराथन समिति के सचिव उपेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में बलिया की पहचान चंद्रशेखर की बलिया के रुप में होता है यह सम्मान की बात है. सरकार सदन में चंद्रशेखर जी की राय पर कार्ययोजना चलाती थी। चंद्रशेखर जी के हनक से बलिया पर आंख उठाने का साहस कोई नहीं कर पाया।
कहा चंद्रशेखर जी ने पूरी दुनिया में कुर्ता धोती को पहचान दिलाई। बलिया के मिट्टी की पहचान चंद्रशेखर जी और मजबूत हुई। संबोधित करते हुए अरविन्द सिंह सेंगर ने उन्हें श्रद्धांजलि करते हुए अपनी बात शुरू की। अस्सी के दशक के बाद जितने प्रधानमंत्री हुए चंद्रशेखर जी से डरते थे। सीधे देश का प्रधानमंत्री बनना बड़ी बात है। चंद्रशेखर जी ने राजीव गांधी के आग्रह को अस्वीकार किया। कहा कि चंद्रशेखर जी जिन दर्जन भर लोगों को ज्यादा मानते थे मैं उनमें शामिल हूं। सेंगर ने अपने साथ के संस्मरणों को बताया।
विचार गोष्ठी को पत्रकार शशिकांत ओझा, राजेश, विकास, आशुतोष तोमर, संजीव कुमार डंपू, राजेश गुप्ता ने संबोधित किया। गोष्ठी में धर्मवीर सिंह, निर्भय सिंह गहलोत, सुधीर सिंह, मनोज शर्मा, अभिषेक सोनी, अमित गिरि, रुपेश सिंह, नवीन सिंह, रुस्तम अली, अभय सिंह, संतोष तिवारी, कमलेश सिंह, अमित सिंह, राजेश सिंह, अनिल वर्मा आदि मौजूद थे। अध्यक्षता रूदल सिंह और संचालन प्रदीप यादव ने किया।
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