चाणक्य नीति : रूप और यौवन से संपंन और कुलीन परिवार में जन्म लेने पर भी यदि ये नहीं है तो जीवन व्यर्थ है


चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की पहचान उसके कुल से नहीं बल्कि उसके अन्य गुणों से होती हैं. इस एक चीज के बिना सबकुछ व्यर्थ है.

चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति की सफलता उसके गुणों पर निर्भर करती है. जो व्यक्ति इस बात को जानते हैं, वे जीवन में अपार सफलताएं प्राप्त करते हैं, आप भी सफलता पाना चाहते हैं तो चाणक्य की इन बातों को जरुर अपनाने का प्रयास करें-

चाणक्य नीति के अनुसार रूप और यौवन से संपंन और कुलीन परिवार में जन्म लेने पर भी विद्या हीन मनुष्य पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है, लेकिन खुशबु रहित है. यानि व्यक्ति की योग्यता उसके अच्छे कुल में जन्म लेने से निर्धारित नहीं होती है, बल्कि जब व्यक्ति ज्ञान हासिल करता है तब उसकी योग्यता और प्रतिभा निखर कर आती है. इसी प्रकार चाणक्य नीति के इस श्लोक की गहराई को समझने का प्रयास करें-

कोकिलानां स्वरो रूपं नारीरूपं पतिव्रतम् ।

विद्यारूपं कुरूपाणांक्षमा रूपं रपस्विनाम् ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि कोयल की सुंदरता उसके गायन में निहित है. एक स्त्री की सुंदरता उसके अपने परिवार के प्रति समर्पण में है. एक बदसूरत आदमी की सुंदरता उसके ज्ञान में है तथा एक तपस्वी की सुन्दरता उसकी क्षमाशीलता में है. 

उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम् ।

मौनेनकलहोनास्ति नास्ति जागरितो भयम् ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ ये है कि जो उद्यमशील हैं, वे कभी गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उन्हें पाप छू भी नहीं सकता, जो मौन रहते हैं वो झगड़ों मे नहीं पड़ते, जो जागृत रहते है वो निर्भय होते है.

चाणक्य नीति के अनुसार जो परिश्रम करता है वो दरिद्र नहीं हो सकती है. वो अपने परिश्रम से अपने पेट भरने की व्यवस्था कर ही लेगा. वहीं जो भगवान के प्रति आस्था रखते हैं, वे पाप और पुण्य का भेद जानते हैं. जो चुप रहते हैं वे विवादों से दूर रहते हैं. जो सदैव सतर्क और सावधान रहते हैं, भय उनसे दूर रहता है.




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