बीजेपी से दगाबाजी बिहार के इस नेता को पड़ी भारी, नीतीश ने मंत्री पद से निकाल किया बाहर


पटना। बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए में गठबंधन धर्म का पालन न करना वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी पर भारी पड़ गया। मुकेश सहनी अब नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री नहीं रह गए हैं। 496 दिन बाद उनका मंत्री पद छिन गया है। वजह है यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ जाकर अपने प्रत्याशी उतारना। मुकेश सहनी ने यूपी विधानसभा चुनाव में करीब 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जबकि, बीजेपी ने उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा था। मुकेश ने बीजेपी के इस आग्रह को नहीं माना था। यूपी चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी ने नीतीश से मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए कहा था। इस पर नीतीश ने सिफारिश गवर्नर को भेज दी थी। अब मुकेश सहनी बिहार विधान परिषद के ही मेंबर रह गए हैं। वहां भी वो बीजेपी के कोटे से ही पहुंचे थे।

इससे पहले मुकेश सहनी की पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी ने मुकेश सहनी की दगाबाजी को गंभीरता से लिया था, लेकिन यूपी में चुनाव जारी रहने और नतीजे न आने तक चुप्पी साधे रखी थी। इसके बाद बीजेपी विधानमंडल दल के नेता और नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने चिट्ठी लिखकर नीतीश से आग्रह किया कि वीआईपी पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में आ गए हैं। इसलिए अब मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटा दिया जाए। इसी पर नीतीश ने तत्काल फैसला लेकर सहनी को अपनी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

बता दें कि साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेडीयू में सीटों पर समझौता हुआ था। इसके बाद वीआईपी और हम पार्टी ने जेडीयू से समझौता किया था। हम और वीआईपी को जेडीयू के अलावा बीजेपी ने भी अपने कोटे की सीटें दी थीं। फिर खुद को सन ऑफ मल्लाह बताने वाले मुकेश सहनी यूपी चुनाव में कूद पड़े और पूर्वांचल में अपने उम्मीदवार उतार दिए। जबकि, बीजेपी ने इस इलाके की कई सीटों पर निषाद पार्टी को प्रत्याशी उतारने के लिए कहा था। सहनी का एक भी प्रत्याशी हालांकि यूपी में जीत नहीं सका, लेकिन वो बीजेपी नेतृत्व की नाराजगी का निशाना बन गए।




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