8 मार्च : विश्व महिला दिवस

मदर टेरेसा लक्ष्मीबाई बनकर आती द्वार बेटियां। 

दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती का होती है अवतार बेटियां। 

बेटे तो होते ऑधी और तूफान सरीखे,

पर मलयागिरि सी शीतल मंद बयार बेटियां। 

अधरों पर सृजन सृष्टि की स्नेहिल  मुस्कान लिए,

दिखती है ये फूल सरीखे,

नयनों में सभ्यता संस्कृति की अविरल  पतवार लिए 

मिट जाती हैं धूल सरीखे। 

पर जुल्म असहाय जब हो जाता हैं तो, 

 तोड़ कर सारे बंधन बन जाती तलवार बेटियाँ। 

मन मंदिर में मर्यादाओं की परिभाषा लेकर,

हृदयाॅचल में पिढिओं की अगणित अभिलाषा लेकर, 

जिस घर जाती कर देती गुलजार बेटियां। 

वेद पुराण और महाग्रंथ सब यही बताते,

ऋषि-मुनि और पीर-फकीर सब हमको समझाते,

बसुन्धरा पर सबसे सुन्दर उपहार बेटियां। ।


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।




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