राजधानी के सारे गिरगिट निढाल हो गये


दलबदल का देखकर करतब करिश्मा और कमाल,

राजधानी के सारे गिरगिट निढाल हो गये।

वही चमडी वही दमडी वही हड्डी और वही खाल बनी रही 

चुनावी मौसम के लिहाज से सज-धज कर श्रृगांल हो गये नेताजी।

बदलते मौसम का मिजाज भाप लेते हैं नेताजी,

जीत का पैमाना अपने थर्मामीटर से माप लेते हैं नेताजी,

अब तो नये रंग रूप मे नये नारे नये जुमले रहे हैं उछाल नेताजी।  

अपनी बढती आबादी पर देखकर बहस और बवाल,

झूम रहे हैं सारे गिरगिट लेकर ढोल झाल और करताल,

अब तो गिरगिटो के कबीले के रहनुमा बेमिसाल हो गये नेताजी। 

जाति धर्म और दौलत की बयार में सारे सिद्धांतवादी हलाल हो गये,

नये दौर अब तो मसीहा चोर उचक्के और दलाल हो गये,

मतदाता देश के भाग्य विधाता कंगाल और बदहाल रह गये,

पर रंग बदलते-बदलते मालामाल हो गये नेताजी। 

बडे हैरानगी से पिछली बार के जिताऊ मतदाता कर रहे हैं सवाल,

अब पिछ्ले चुनाव के निष्ठावान कर्मठ सब हो गये जंजाल,

अब तो नये रंग नये झंडे संग कर रहे हैं कदम-ताल नेताजी।  


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता 

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।




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