देवी-देवताओं की पूजा के भी हैं नियम, इन 10 बड़ी बातों का ध्यान रखना है जरूरी


पूजा टिप्स : कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन की दुख और कष्ट भगवान की अराधना से ही दूर हो जाते हैं. कई बार भगवान की अराधना के बाद भी व्यक्ति को अपनी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिलता.

भगवान की अराधना में बहुत शक्ति है. कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन की दुख और कष्ट भगवान की अराधना से ही दूर हो जाते हैं. कई बार भगवान की अराधना के बाद भी व्यक्ति को अपनी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिलता. कई बार ये जानना जरूरी होता है कि वो कौन-सा कारण है, जिसके कारण आपकी साधना का उचित फल नहीं मिल पाता या फिर भगवान की कृपा नहीं मिलती. तो ऐसे में पूजा के कुछ नियमों के बारे में जानना जरूरी है. 

शास्त्रों में बताया गया है कि ईश्वर की पूजा का पूरा फल तब मिलता है, जब आप उसे सही विधि और पूरे नियमों के साथ करते हैं. आइए जानते है ईश्वर की पूजा से जूड़े जरूरी नियम के बारे में. 

ईश्वर की पूजा से जुड़े कुछ खास नियम : 

- भगवान की अराधना का पहला और जरूरी नियम है कि ईश्वर की साधना-आराधना हमेशा भक्ति भाव और निश्छल मन से ही करनी चाहिए. 

- पूजा के लिए दिशा और स्थान दोनों का सही होना बेहद जरूरी है. वास्तु के मुताबिक घर में पूजा का स्थान ईशान कोण की तरफ होना चाहिए और पूजा करते समय हमारा चेहरा पूर्व दिशा की ओर रहे.

- भगावन की पूजा के समय पंच देव-सूर्य देव, श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्‍णु का ध्यान जरूर करना चाहिए. 

- पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर ही स्नान करें. इसके साथ ही भगवान की पूजा पवित्र मन से ही करनी चाहिए. इतना ही नहीं, ईश्वर की पूजा करते समय क्रोध से भी बचना चाहिए. 

- पूजा हमेशा आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए. अपने आराध्य के अनुसार ही आसन का प्रयोग करें. भूलकर भी जमीन या बिस्तर पर बैठकर पूजा न करें. अगर आपके पास ​उचित आसन न हो तो कंबल बिछाकर भी पूजा की जा सकती है. 

- पूजा के दौरान अपने आराध्य के मंत्र और प्रार्थना का सही उच्चारण करें. देवी-देवताओं और ग्रहों से संबंधित मंत्र का जप करते समय उचित माला का प्रयोग करें. माला जाप के लिए भूलकर भी किसी दूसरे की माला या फिर गले में पहनी हुई माला का प्रयोग न करें.

- ईश्वर की पूजा के बाद आरती अवश्य करें. ऐसा माना जाता है कि आरती है तारती, इसलिए आराध्य देवी-देवता की सुबह-शाम आरती जरूर करें. इतना ही नहीं, आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए. 

- ऐसा माना जाता है कि पूजा के बाद आसन के नीचे 2 बूंद जल डालकर उसे माथे से अवश्य लगाएं. उसके बाद ही स्थान छोड़ें. अन्यथा, आपकी पूजा का फल इंद्रदेव को मिल जाता है. 

- इतना ही नहीं, इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा समाप्त होने के बाद अपने आराध्य से भूल-चूक के लिए क्षमा याचना जरूर करें. 

- कहते हैं कि अगर आपने किसी पूजा या पूजा से जुड़ा कोई दान का संकल्प लिया हो तो उसे समय रहते पूरा कर लें. अन्यथा उसका दोष लगता है. 

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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