कार्तिक पूर्णिमा पर ये दस काम देंगे संपन्नता का वरदान


हिन्दू कैलेंडर के श्रेष्ठतम माह कार्तिक की पूर्णिमा 19 नवंबर को पड़ रही है, जानिए इस दिन स्नान-ध्यान और दान का महत्व।

कार्तिक पूर्णिमा इस बार 19 नवंबर को पड़ रही है। हिन्दू परंपराओं के आधार पर इस पर्व को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस साल इस दिन पूर्वोत्तर भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा। मगर उपछाया होने से कोई सूतक नहीं मान्य होगा, लिहाजा इस दिन पूजा पाठ पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी। पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा, आदित्यजी आदि ने महापुनीत प्रमाणित किया है। आइए जानते हैं इस दिन दस शुभ कार्य जरूर करने चाहिए। 

1. पवित्र नदी-तालाब स्नान : कार्तिक महीने में श्रीहरि जल में निवास करते हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी-तालाब या कुंड में स्नान अति उत्तम है, श्रद्धालु लोग गंगा-यमुना में स्नान के साथ तीर्थों में पवित्र स्नान के लिए जाने का प्रयास करना चाहिए। 

2. दीपदान : इस दिन नदी में दीप प्रवाहित करने के साथ दीपक जलाते हैं। मान्यता है कि इस दिन सभी देवता नदी घाट पर दीप जलाकर प्रसन्नता दर्शाते हैं, इसीलिए इस दिन दीपदान का बेहद महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान से सभी संकट मिट जाते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है। 

3. दीपों से सजाएं घर को : कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया तोरण बांधे और दिवाली जैसे ही दीपक जलाएं। 

4. सत्यनारायण कथा सुनें : इस दिन खासकर देवी लक्ष्मी, विष्णु की संध्याकाल में पूजा होती है। सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने से विशेष लाभ मिलता है। 

5. अर्थ-अन्न या वस्त्र दान : इस दिन दानादिका दस यज्ञों के समान फल होता है। इस दिन दान का बेहद महत्व है। इसलिए सामर्थ्य अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान समेत जो भी दान कर सकते हैं, वह जरूर करने का प्रयास करें। 

6. छह तपस्विनी कृतिकाओं की पूजा : पूर्णिमा को चन्द्रोदय के वक्त शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति अनसूया और क्षमा समेत छह तपस्विनी कृतिकाओं की पूजा करें, क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता हैं। इनका धूप-दीप, नैवेद्य से पूजन पर शौर्य, बल, धैर्य आदि बढ़ता है। धन-धान्य में वृद्धि होती है। 

7. इन देवों की पूजा : पूर्णिमा को भगवान विष्णु के रूप मत्स्य अवतार, शिव के त्रिपुरारी स्वरूप, श्रीकृष्ण, देवी लक्ष्मी और माता तुलसी की पूजा होती है। इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद, गंगाजल मिलकार चढ़ाने से शिवजी खुश होते हैं। संध्या को त्रिपुरोत्सव कर 'कीटाः पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवाः, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र' का मंत्र जाप करते हुए दीपदान करें। पुनर्जन्म के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। 

8. तुलसी पूजा : इस दिन में शालिग्राम के साथ तुलसी पूजा, सेवन और सेवा का महत्व है. इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ-हवन का भी महत्व है। इसमें किए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनंत फल होता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं। 

9. पूर्णिमा व्रत : इस दिन उपवास कर भगवान का स्मरण, चिंतन से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल मिलता है और सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से शुरू कर हर पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण से मनोरथ सिद्ध होते हैं। 

10. ब्रह्मचर्य पालन : कार्तिक पूर्णिमा के दिन में इंद्रिय संयम रखकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर अशुभ फल मिल सकता है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति ना रखें, ना अधिक सोएं और ना जागें आदि।



 



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