बलिया। डिमिक डिमिक डमरू बाजे हो के मगन नाचे भोला, भृगु-दर्दर क्षेत्र के कार्तिक कल्पवास शिविर में वाराणसी से आये कत्थक नृत्य विख्यात कलाकार माता प्रसाद मिश्र, रविशंकर मिश्र एवं डाॅ ममता टंडन ने 107 वर्ष पहले काशी से चोरी होकर कनाडा पहुँची माँ अन्नपूर्णा के प्राचीन विग्रह के काशी आगमन पर भावनृत्य की प्रस्तुति किया। इस सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ महाराज जी, शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
ज्ञातव्य है कि कार्तिक मास में भृगु-दर्दर क्षेत्र का महत्व काशी से भी एकजव अधिक हो जाता है। महाबीर घाट गंगा तट पर स्थित वैदिक प्रभात फाउंडेशन के कल्पवास शिविर में प्रतिदिन सम्पन्न होने वाले कार्यक्रमों में अक्षय नवमी के दिन कत्थक नृत्य के कलाकारों ने कार्तिक महात्म्य पर अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विशाल सागर वाराणसी के द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया।
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