महात्मा बुद्ध के आधुनिक अवतार थे महात्मा गाँधी


भारत में प्रथम सामाजिक क्रांति के प्रणेता महात्मा बुद्ध द्वारा प्रदीप्त सत्य अहिंसा और करूणा के विचार को आधुनिक काल में ईमानदारी और पूरी निष्ठा के साथ महात्मा गांधी ने स्थापित और जन-जन के हृदय समाहित करने का श्लाघनीय प्रयास किया। निष्ठुर, निर्दयी, निर्मम और अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष करते हुए भी महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह को ही औजार बनाया। अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष करते हुए अपने राजनीतिक कौशल से सत्य और अहिंसा को सर्वाधिक कारगर हथियार में परिवर्तित करने के कारण ही  महात्मा गाँधी को सम्पूर्ण विश्व इतिहास में एक अनूठा क्रांतिकारी योद्धा माना जाता है। महात्मा गाँधी का विश्वास था कि-सत्याग्रह द्वारा शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु को बिना शारीरिक क्षति पहुंचाए परास्त किया जा सकता है। वस्तुतः गाँधी हृदय परिवर्तन की तकनीक द्वारा नैतिक, अहिंसक और शाश्वत विजय के पक्षधर थे। उनके अनुसार हथियारों और खून-खराबे से प्राप्त विजय अनैतिक और अस्थायी होती हैं। आधुनिक अर्थों में स्वतन्त्रता, समानता और न्याय पर आधारित लोकतंत्र के जन्मदाता होने का पूरी दुनिया में ढिढोंरा पिटने वाले अंग्रेजों ने भारत पर अलोकतांत्रिक, अनेतिक  और हिंसक संसाधनो से  विजय प्राप्त की थी। जबकि महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय पर आधारित लोकतांत्रिक, नैतिक और अहिंसक तौर-तरीकों से परास्त किया था। इस दृष्टि से भी महात्मा गाँधी क्रांतिकारी लडाका माना जाता है। यह महात्मा गांधी का अद्भुत रणनीतिक कौशल और जनवादी दूरदर्शिता थी कि-सत्य और अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह की रणनीति अपनाकर उन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम को अंग्रिम कतार के कुछ नेताओं के बजाय आम जनता का संग्राम बना दिया। इसका स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि-असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में आम जनमानस की व्यापक भागीदारी रहीं। व्यापक जनभागीदारी के कारण महात्मा गाँधी द्वारा संचालित समस्त आन्दोलनों ने लोकप्रियता के शिखरोत्कर्ष को स्पर्श किया। विश्व के समस्त आन्दोलनों के इतिहास में सविनय अवज्ञा आंदोलन को सर्वाधिक श्रेष्ठ, सुसंगठित और लोकप्रिय आन्दोलन के रूप स्थान प्राप्त है। सविनय अवज्ञा आंदोलन से प्रभावित होकर नोबेल पुरस्कार समिति ने महात्मा गाँधी को नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत करने का निर्णय कर लिया था परन्तु ब्रिटिश साम्राज्य के दबाव में नोबेल पुरस्कार समिति ने अपना निर्णय बदल दिया। दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेंद के विरुद्ध संघर्ष से लेकर 1942 मे होने वाले अंग्रेजों भारत छोड़ो के आन्दोलन तक लगभग अपने समस्त सामाजिक और राजनीतिक आन्दोलनों में महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा को सर्वोपरि स्थान दिया। अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरुद्ध  सत्याग्रह के माध्यम से संघर्ष के गाँधीवादी माॅडल को दुनिया के लगभग सभी देशों ने आत्मसात किया। दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के इसी गाँधीवादी माडल को अपनाकर डॉ नेल्सन मंडेला ने अश्वेत लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और अंततः 1990 में दक्षिण अफ्रीका में एक रंगभेद रहित लोकतंत्रिक सरकार कायम करने में सफलता प्राप्त की। 

महात्मा गाँधी के राजनीतिक चिंतन और दर्शन पर उनके राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता हैं। गोखले की तरह महात्मा गाँधी भी राजनीति का आध्यात्मीकरण करना चाहते थे और राजनीति मे नैतिक मूल्यों को समाविष्ट करना चाहते थे। राजनीति और राजनीतिक संघर्ष में साध्य की पवित्रता के साथ-साथ साधन की पवित्रता वकालत करने के कारण विश्व के राजनीतिक इतिहास में अत्यंत श्रद्धा के अध्ययन किये जाते हैं। महात्मा गाँधी के हृदय में उत्कट देशभक्ति के साथ-साथ वैश्विक मानवता के बचाने के लिए गहरी तडप और बेचैनी थी। इसलिए सम्पूर्ण वैश्विक इतिहास में महात्मा गाँधी इकलौते ऐसे महायोद्धा थे जो अपने देश की स्वाधीनता के साथ-साथ वैश्विक स्तर मानव जाति को बचाने और मानवतावादी मूल्यों की रक्षा के लिए साथ-साथ संघर्ष कर रहे थे। बीसवीं शताब्दी में होने वाले दो विश्व युद्धों और उससे होने वाली तबाहियों और बर्बादियों ने यह साबित कर दिया कि-विज्ञान और तकनीकी के चमत्कारो से मनुष्य को विकास और तरक्की की बुलंदियों पर तो पहुंचाया जा सकता है परन्तु मानवता की रक्षा नहीं की जा सकती है। 

महात्मा गाँधी के निधन पर दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि-महात्मा गांधी जिस अहिंसा की राजनीति के लिए आजीवन कृतसंकल्पित रहे उसी अहिंसा की राजनीति के शिकार हो गये। उस दौर के गहमा-गहमी और दंगा-फसाद से भरे माहौल और हिंसा -प्रतिहिंसा के वातावरण में भी महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सुरक्षा लेने से मना कर दिया था। क्योंकि किसी भी प्रकार के बलप्रयोग को वह अनैतिक और पशुता का परिचायक मानते थे। तर्क बुद्धि विवेक और प्रज्ञा के आधार पर ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कार और आविष्कार करने वाले सर आइजक न्यूटन और जेम्स मैक्सवेल की तस्वीर अपने पोर्ट्रेट में रखने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों से इस कदर प्रभावित थे कि-महात्मा गाँधी के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा था कि-"आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगीं कि-हाड मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति इस धरती पर चलता-फिरता था"। अल्बर्ट आइंस्टीन महात्मा गांधी के महान मानवतावादी मूल्यों और सिद्धांतों और अहिंसा के आधार पर मानव मुक्ति के लिए उनके  संघर्ष के तौर-तरीकों से गहरे रूप से प्रभावित थे। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने सर आइजक न्यूटन और जेम्स मैक्सवेल की तस्वीर की जगह "अल्बर्ट श्वाइटजर और महात्मा गांधी "की तस्वीर अपने पोर्ट्रेट में लगा दी। उन्नीसवीं शताब्दी में होने वाले दो विश्व युद्धों की तबाहियों और बर्बादियों के वीभत्स दृष्यों ने भी अल्बर्ट आइंस्टीन के हृदय में महात्मा गाँधी व्यक्तित्व में आकर्षण पैदा किया था। आज जब  राजनीति में लोगों की निष्ठा हासिल करने के लिए नेताओ द्वारा छल कपट प्रपंच, तरह-तरह के प्रलोभन, नाना प्रकार की चतुराईयाॅ और भावनात्मक धोखाधड़ी का खेल खेला जा रहा है तब ऐसे समय में महात्मा गांधी के ऊपर अल्बर्ट आइंस्टीन का यह  विचार अत्यंत प्रासंगिक हो जाता है कि लोगों की निष्ठा राजनीति  धोखेबाजी और धूर्ततापूर्ण खेल से नहीं जीती जा सकती बल्कि वह नैतिक रूप से उत्कृष्ट जीवन का जीवंत उदाहरण बन कर भी हासिल की जा सकती है। वस्तुतः छल कपट प्रपंच और धूर्तताओं से परिपूर्ण राजनीति में भी महात्मा गाँधी ने नैतिकता और सचरित्रता की वकालत किया। 

2 अक्तूबर 1969 मे पोरबंदर मे पैदा हुए महात्मा गाँधी द्वारा अपने साथ अन्याय, अत्याचार एवं शोषण को अपनी नियति मान चुके रंगभेद नीति से गहरे रूप से प्रभावित दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत लोगों के लिए किए संघर्ष से प्रभावित हो कर गणेश शंकर विद्यार्थी ने कहा था कि-अफ्रीका की मरुभूमि में अमृत वर्षा हूई और वर्षा की इन्द्र गाँधी ने, शुष्क भूमि आत्मशक्ति की अर्चा हूई और अर्चा की राम गाँधी ने, दया- शून्य हृदयो में दृढ़ता और बल का सिक्का जमा और सिक्का जमाया भीष्म गाँधी ने। बकौल गणेश शंकर विद्यार्थी शोषित उत्पीडित हृदयो में आत्मशक्ति का संचार करने वाले वैश्विक मानवता के अग्रणी अग्रदूत महात्मा गाँधी को नमन करते हुए उनके जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। 


मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता

बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ ।

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