नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा से मिलती है संतान, बढ़ता है ज्ञान


हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। 7 अक्टूबर से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। 

मां स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। 

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें

मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंदमाता पूजा विधि...

-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

-मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। 

-स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।

-मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। 

-मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।

-मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।

-मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग-

मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।

संतान सुख की प्राप्ति होती है

मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। 

स्कंदमाता का मंत्र...

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.

सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.

कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.

कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.

हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.

अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.

इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

शुभ मुहूर्त-

-ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:29 ए एम    

-अभिजित मुहूर्त - 11:45 ए एम से 12:31 पी एम    

-विजय मुहूर्त - 02:04 पी एम से 02:51 पी एम

-गोधूलि मुहूर्त - 05:45 पी एम से 06:09 पी एम    

-रवि योग - 02:44 पी एम से 07:54 पी एम




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