गहन तिमिर को दूर कर,
ले जाते हैं प्रकाश-पुंज की ओर गुरु।
भटके हुए शिष्य की अंगुली पकड़,
शूल पर चलना सिखाते हैं गुरु।
शिष्य के अज्ञानता को,
ज्ञानवर्धक बना देते हैं गुरु।
ज्ञान से जड़ चेतन को मजबूत बना,
भविष्य को सुनहरा बनाते हैं मात- पिता व गुरु।
चुनौतीयों से भरे जीवन को,
उज्ज्वल भविष्य का मार्ग दिखाते हैं गुरु।
सत्य और धर्म के ज्ञान की गंगा बहा,
उच्च शिखर पर पहुँचाते हैं गुरु।
भंवर में फंसी नैया को,
मांझी बन पार लगाते हैं गुरु।
सूर्य की तपिश में तपाकर,
कुंदन बना देते हैं गुरु।
शिष्य में अगर हो सीखने की प्रबल इच्छा,
तो कठिन से कठिन राह को भी सरल बना देते हैं गुरु।
स्वरचित व मौलिक
मानसी मित्तल
उत्तर प्रदेश
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