पंजाब : कौन हैं चरणजीत सिंह चन्नी जिन्हें कांग्रेस ने बनाया पंजाब का सीएम, जानिए उनके बारे में सबकुछ


Punjab New CM Announced : कुछ देर पहले तक सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सीएम के तौर पर चल रहा था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर अपनी मुहर लगाई और सभी कौ चौंका दिया.

Punjab New CM Announced : दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को कांग्रेस ने पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया है. कुछ देर पहले तक सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सीएम के तौर पर चल रहा था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर अपनी मुहर लगाई और सभी कौ चौंका दिया.

कौन हैं चरणजीत सिंह चन्नी?

चरणजीत सिंह चन्नी दलित समुदाय से आते हैं और वो अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा और पर्यटन मंत्री थे. चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के चमकौर विधानसभा सीट से विधायक हैं. इसके साथ ही वो पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं.

नगर परिषद का अध्यक्ष चुने जाने से लेकर पंजाब में दलित समुदाय से पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने तक चरणजीत सिंह चन्नी का पिछले दो दशकों में सियासत में लगातार कद बढ़ता गया. 

पंजाब के रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक चन्नी 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और निवर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, रोजगार सृजन और पर्यटन तथा सांस्कृतिक मामलों के विभागों को संभाल रहे थे. चन्नी ने प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का पक्ष लेते हुए अमरिंदर सिंह के खिलाफ तीन अन्य मंत्रियों के साथ बगावत कर दी थी.

राज्य में विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने बचे हैं इसलिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एक दलित चेहरे की घोषणा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि दलित राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसदी हिस्सा हैं. दोआबा क्षेत्र - जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर और कपूरथला जिले में दलितों की आबादी सबसे अधिक है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर चुके शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर दलित वर्ग के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाएगा. राज्य में आम आदमी पार्टी भी जीत की उम्मीदें लगाए हुए है.

चन्नी (58) का चुना जाना भले आश्चर्यजनक विकल्प प्रतीत होता है, लेकिन यह सुविचारित निर्णय हो सकता है क्योंकि पार्टी को आशा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दलित वर्ग से नेता के चयन का विरोध नहीं होगा और अमरिंदर सिंह की नाराजगी से हुए संभावित नुकसान की भरपाई हो जाएगी. चन्नी ने तीन अन्य मंत्रियों - सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साथ और विधायकों के एक वर्ग ने पिछले महीने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाते हुए कहा था कि उन्हें अधूरे वादों को पूरा करने की सिंह की क्षमता पर कोई भरोसा नहीं है.

चन्नी वरिष्ठ सरकारी पदों पर अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व जैसे दलितों से जुड़े मुद्दों पर सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. उनकी राजनीतिक यात्रा 2002 में खरार नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ शुरू हुई. चन्नी ने पहली बार 2007 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से जीते. वह 2012 में कांग्रेस में शामिल हुए और फिर से उसी सीट से विधायक चुने गए.

मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चन्नी उस समय विवादों में घिर गए जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की एक महिला अधिकारी ने उन पर 2018 में ‘‘अनुचित संदेश’’ भेजने का आरोप लगाया था. इसके बाद पंजाब महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार का रुख पूछा था. उस समय मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने चन्नी को महिला अधिकारी से माफी मांगने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि उनका (सिंह) मानना है कि मामला ‘‘हल’’ हो गया है.

यह मुद्दा इस साल मई में फिर से उठा, जब महिला आयोग की प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार एक ‘‘अनुचित संदेश’’ के मुद्दे पर अपने रुख से एक सप्ताह के भीतर उसे अवगत कराने में विफल रही तो वह भूख हड़ताल पर चली जाएंगी. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे ने आरोप लगाया था कि यह अमरिंदर सिंह द्वारा उनके विरोधियों को निशाना बनाने की कोशिश है.

वर्ष 2018 में चन्नी फिर से विवादों में फंसे, जब वह एक पॉलिटेक्निक संस्थान में व्याख्याता के पद के लिए दो उम्मीदवारों के बीच फैसला करने के लिए एक सिक्का उछालते हुए कैमरे में कैद हो गए. इससे अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा. नाभा के एक व्याख्याता और पटियाला के एक व्याख्याता, दोनों पटियाला के एक सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थान में तैनात होना चाहते थे.

चन्नी ने एक बार अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क का निर्माण करवाया था ताकि उनके घर में पूर्व की ओर से प्रवेश किया जा सके और बाद में चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे तोड़ दिया. चन्नी पिछली शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.

कांग्रेस ने दिया ये संदेश

कांग्रेस के इस फैसले को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. राज्य में दलित आबादी तीस फीसदी से अधिक है. साथ ही कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी के भीतर सीनियर नेताओं के बीच की कलह को खत्म करने की कोशिश की है.

चन्नी के सीएम बनने कैप्टन की बधाई

कैप्टन अमरिंदर सिंह (जिन्होंने कल पंजाब के CM पद से इस्तीफा दिया था) ने नामित सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को शुभकामनाएं दीं हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "उम्मीद है कि वे सीमावर्ती राज्य पंजाब को सुरक्षित रखने और सीमा पार से बढ़ते सुरक्षा खतरे से लोगों की रक्षा करने में सक्षम हैं."

आज सुबह 11 बजे शपथ लेंगे चन्नी

सीएम के तौर पर अपने नाम का एलान होने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात की और सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया. अब आज सुबह 11 बजे पंजाब के नए सीएम के तौर पर चन्नी शपथग्रहण करेंगे. 

साभार-abp news




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